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होली पर क्यों होगा चांद का रंग ‘खूनी लाल’? जानें इसका विज्ञान

इस साल 14 मार्च को होली का त्योहार पड़ रहा है. और ये दिन खगोल प्रेमियों के लिए खास होने वाला है. दरअसल आसमान में एक अद्भुत नज़ारा दिखेगा, जब चंद्रमा धीरे-धीरे लाल रंग में बदल जाएगा. ऐसा होगा एक पूर्ण चंद्रग्रहण के कारण, जो 13 मार्च की रात (या कुछ जगहों पर 14 मार्च को देखा जा सकेगा. इस पूर्व चंद्रग्रहण को बल्ड मून के नाम से भी जाना जाता है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

होली का त्योहार रंगों और खुशियों से भरा होता है, लेकिन इस बार यह और भी खास होने वाला है. 14 मार्च को जब आप आसमान की ओर देखेंगे, तो एक अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा – चांद लाल रंग में बदलता हुआ दिखाई देगा. यह दृश्य पूर्ण चंद्रग्रहण के कारण होगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है. इस दौरान चंद्रमा धीरे-धीरे गहरे लाल या तांबे के रंग में बदल जाएगा. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है.

चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा को ढक लेती है. पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया के सबसे गहरे हिस्से (उम्ब्रा) में आ जाता है. इस दौरान सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती, जिससे वह कुछ समय के लिए अंधेरे में दिखाई देता है. हालांकि, यह पूरी तरह काला नहीं होता बल्कि चंद्रमा लाल रंग में नजर आता है. यह रंग पृथ्वी के वातावरण से गुजरने वाली सूर्य की रोशनी के कारण बनता है.

ब्लड मून: चंद्रमा लाल क्यों दिखता है?

जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में होता है, तो सूर्य की सीधी रोशनी उस तक नहीं पहुंचती. लेकिन पृथ्वी का वातावरण सूर्य की रोशनी को मोड़कर (रिफ्रैक्ट करके) चंद्रमा तक पहुंचाता है. इस दौरान, वातावरण नीली रोशनी को बिखेर देता है और केवल लाल और नारंगी रंग की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने देता है. यही कारण है कि चंद्रमा एक गहरे लाल रंग में दिखता है, जिसे 'ब्लड मून' कहा जाता है. अगर वातावरण में धूल, धुआं या ज्वालामुखी से निकले कण ज्यादा होंगे, तो चंद्रमा और भी गहरे लाल या तांबे के रंग का दिख सकता है.

किन देशों में दिखेगा यह चंद्रग्रहण?

यह पूर्ण चंद्रग्रहण खासतौर पर अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में साफ तौर पर देखा जा सकेगा. भारत में यह पूरी तरह से नहीं दिखेगा, लेकिन अगर मौसम साफ होगा तो इसका आंशिक प्रभाव देखा जा सकता है.

मार्च की पूर्णिमा का नाम वर्म मून क्यों है?

मार्च की पूर्णिमा को वर्म मून कहा जाता है. इस नाम के पीछे एक दिलचस्प कारण है. माना जाता है कि इस समय पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगता है और मिट्टी में छिपे कीड़े बाहर आने लगते हैं. कुछ अमेरिकी आदिवासी समुदायों के अनुसार, यह नाम प्राकृतिक बदलावों को दर्शाता है. इस पूर्णिमा को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे, ईगल मून, गूज़ मून, क्रो कम्स बैक मून, शुगर मून और विंड स्ट्रॉन्ग मून.

ब्लड वर्म मून के दौरान और क्या दिखेगा?

इस रात यदि आसमान में हल्की नमी होगी, तो आप एक अनोखा ‘मूनबो’ (Moonbow) भी देख सकते हैं. यह इंद्रधनुष की तरह होता है, लेकिन यह चंद्रमा की रोशनी से बनता है. इसके अलावा, जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में होगा, तो उसकी चमक कम हो जाएगी, जिससे सितारों और ग्रहों को देखने का बेहतरीन अवसर मिलेगा. यदि आप पश्चिमी दिशा में देखें तो बृहस्पति और मंगल ग्रह चमकते हुए दिखाई देंगे, साथ ही कई तारामंडल भी साफ दिख सकते हैं.

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12 March 2025, 06:21 PM IST

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