Jaishankar Prasad Birth Anniversary: जयशंकर प्रसाद की दोनों पत्नियों की एक ही बीमारी से हुई मौत? खुद भी इस बीमारी का बन गए निवाला
Jaishankar Prasad Birth Anniversary: 30 जनवरी 1889 को काशी में जन्मे प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की आज 35वीं बर्थ एनिवर्सरी है तो चलिए इस खास मौके पर उनके निजी जीवन के बारे में कुछ रोचक बाते जानते हैं.
Jaishankar Prasad 35th Birth Anniversary: हिंदी साहित्य में रूचि रखने वाले जयशंकर प्रसाद को हिन्दी छायावादी युग के चार मुख्य स्तंभों में से एक माना जाता है. वे छायावाद के प्रवर्तक उन्नायक और प्रतिनिधि कवि होने के साथ साथ युग-प्रवर्तक, नाटककार, निबंधकार, उपन्यासकार और कहानीकार के रूप में भी जाने जाते हैं. आज उनका बर्थ एनिवर्सरी है तो चलिए इस खास मौके पर उनके बारे में कुछ दिलचस्प बाते जानते हैं.
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय-
जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिन्दी साहित्य के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे. इनका जन्म काशी के प्रसिद्ध सुघनी साहू नामक वैश्य परिवार में 30 जनवरी 1889 में हुआ था. इनके पिता का नाम देवी प्रसाद था. प्रसाद जी की शिक्षा की बात करें तो उनकी शुरुआती शिक्षा ठीक प्रकार से नहीं हुई थी क्योंकि, जब ये छोटे थे तभी इनके माता पिता का देहांत हो गया था. माता पिता के देहांत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी प्रसाद जी पर आ गया.
हालांकि, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए इतिहास, पुराण तथा साहित्यशास्त्र का अत्यंत गंभीर अध्ययन किया. उन्होंने कई अमूल्य रत्न हिन्दी साहित्या को प्रदान किए हैं. उन्हें महाकाव्य 'कामायनी' के लिए मंगलाप्रसाद पारितोषिक पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है. हालांकि, वे बेहद कम उम्र में रोगग्रस्त हो गए जिसकी वजह से 48 वर्ष की उम्र में ही उनका निधन हो गया.
प्रसाद जी का निजी जीवन-
जयशंकर प्रसाद ने दो शादियां की थी. पहली शादी साल 1909 में विंध्यवासिनी देवी से की थी. हालांकि उनको क्षय रोग था जिसके कारण साल 1916 में उनकी मृत्यु हो गई. पहली पत्नी के निधन के एक साल बाद यानी 1917 में प्रसाद जी ने दूसरी शादी सरस्वती देवी के साथ की. दूसरा विवाह होने के बाद उनकी पहली पत्नी के कपड़े आदि उनकी दूसरी पत्नी भी पहनने लगी जिसके बाद उन्हें भी क्षय रोग हो गया है. शादी के 2 साल बाद क्षय रोग के कारण सरस्वती देवी का भी निधन हो गया.
तीसरी पत्नी से हुआ एक संतान-
2 पत्नियों के निधन बाद प्रसाद जी फिर से घर बसाना नहीं चाहते थे लेकिन कई लोगों के समझाने और अपनी भाभी के प्रतिदिन के शोकमय जीवन को सुलझाने के लिए विवश होकर उन्होंने फिर से शादी करने का फैसला लिया. साल 1919 में उन्होंने तीसरा विवाह कमला देवी से किया जिससे उन्हें एक पुत्र रत्न शंकर प्रसाद हुआ.
खुद भी हो गए क्षय रोग के शिकार-
आपको बता दें कि, जयशंकर प्रसाद बेहद कम उम्र में क्षय रोग के शिकार हो गए. इस बीमारी से मुक्त होने के लिए उन्होंने एलोपैथिक से लेकर होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा का सहारा लिया हालांकि इससे वो उभर नहीं पाएं. इसी रोग के कारण बेहद कम उम्र में ही उनका निधन हो गया. नवम्बर 15, 1937 को वह 48 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए.