ॐलोक आश्रम: क्या सनातन सबसे प्राचीन धर्म है? भाग-1

ॐलोक आश्रम: हम सनातनियों को ये बात बहुत पहले से ही पता है कि सनातन धर्म ही सबसे प्राचीन धर्म है। इसी कारण से इसे सनातन कहा जाता है।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

ॐलोक आश्रम: हम सनातनियों को ये बात बहुत पहले से ही पता है कि सनातन धर्म ही सबसे प्राचीन धर्म है। इसी कारण से इसे सनातन कहा जाता है। सनातन का मतलब जबसे सृष्टि है जबसे मानव सभ्यता अस्तित्व में आई और जो सबसे पहला धर्म आया, जब धर्म की समझ भी लोगों को नहीं थी। तब धर्म आया और तब से यह धर्म है और ये हमेशा चलने वाला धर्म है। लेकिन बहुतायत में जो पश्चिमी समाज है यूरोप है, अमेरिका है जहां रिसर्चेज ज्यादा होती हैं जहां शोध ज्यादा होते हैं। वे लोग इस्लाम और क्रिश्चियनिटी को सबसे प्राचीन धर्म मानते रहे हैं।

हर धर्म की एक तत्व मीमांसा होती है वो बताते हैं कि सृष्टि कैसे आई, सृष्टि कहां से आई। सृष्टि के अपने सिद्धांत उन्होंने दिए लेकिन आज वैज्ञानिक युग है और वैज्ञानिक युगों में एक तरफ जो वैज्ञानित सिद्धांत हैं वो हमारे वेदों से उपनिषदों से समाहित हो रहे हैं। जो वेदों और उपनिषदों में कहा गया वो आज विज्ञान कह रहा है। आज वह विज्ञान मान रहा है। दूसरी ओर पुरातत्व विभाग आज जहां भी खोज कर रहा है, जहां भी उसकी खुदाई हो रही है तो उस खुदाई में कहीं पुराना शिवलिंग मिल रहा है। कहीं मंदिरों के अवशेष मिल रहे है। हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिल रही हैं।

अभी सऊदी अरब में 8 हजार पुराना मंदिर मिला है। ये यह दिखाता है कि वास्तव में सनातन धर्म सबसे पुराना है। अब जितने भी विदेशी लेखक हैं, धर्म शास्त्री हैं उनको भी इस बात को मानना पड़ेगा कि वास्तव में सनातन सभ्यता ही विश्व की प्राचीन सभ्यता है। दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है, पुराना धर्म है, प्राचीन धर्म है और वास्तव में यही एक धर्म है जो मानव मात्र के लिए है बाकी सारे धर्म जो अपने आप को धर्म कहते हैं वो एक पंथ हैं और वो एक सीमित समय में सीमित थ्योरी में सीमित सिद्धांत के साथ उत्पन्न हुए हैं और सीमित समय तक के लिए हैं।

आज अगर आप वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखो तो भारत है, सऊदी अरब है, साउथ ईस्ट एशिया है, चीन है, जापान है, इजिप्ट है, यूरोप है। पीछे पहले एक ही सभ्यता रही है, एक ही धर्म रहा है और वो है सनातन धर्म। समय के साथ रीति-रिवाज बदले और नए-नए धर्मों का उदय हुआ। सनातन धर्म चूंकि विश्वव्यापी धर्म रहा और अपने आप को इसने विश्व व्यापी बनाया और जो मूल्य लिए वो विश्वव्यापी मूल्य थे। वसुधेव कुटुंबकम के लिए, सर्वे भवंतु सुखिन: इस तरह की सारा विश्व ही हमारा परिवार है।

सभी लोग सुखी हों इस तरह की मनोभावना, मनोविचार लिए हुए ये पूरा धर्म रहा। धर्म वास्तव में ऐसा ही होना चाहिए। धर्म वही है जो सार्वजनिन हो जो वैज्ञानिक हो। जैसे आप वैज्ञानिक नियम देखो। अगर कोई कूदेगा तो वो ऊपर से नीचे ही गिरेगा। चाहे वह अमेरिका में कूदे या ब्रिटेन में कूदे या फिर भारत में। जिस तरह वैज्ञानिक नियम सार्वजनिन होते हैं उसी तरह वास्तव में धर्म को सार्वजनिन होना चाहिए। सभी मानव मात्र के लिए होना चाहिए। सभी मानव कल्याण के लिए होना चाहिए। सनातन तो ऐसा रहा कि वो प्राणी मात्र के लिए है। आप देखिए जितने यहां जीव-जंतु हैं वो भी प्रभु के साथ एकाकार मिलेंगे। प्रकृति के सारे रूप आपको एकाकार मिलेंगे तो यह मानव मात्र के लिए एक धर्म रहा।

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08 December 2022, 06:00 PM IST

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