ॐलोक आश्रम: हम दबाव में कब आते हैं? भाग -2

ऐसी विपरीत परिस्थितियों से बाहर किस तरह से निकलना है और किस तरह विचार रखना है कि ऐसी विषम परिस्थितियां आएं ही ना। अर्जुन के एक-एक प्रश्न का भगवान कृष्ण ने बिल्कुल सही जवाब दिया है।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

ॐलोक आश्रम: ऐसी विपरीत परिस्थितियों से बाहर किस तरह से निकलना है और किस तरह विचार रखना है कि ऐसी विषम परिस्थितियां आएं ही ना। अर्जुन के एक-एक प्रश्न का भगवान कृष्ण ने बिल्कुल सही जवाब दिया है। बतलाया है कि काम हमें किस तरह से करने चाहिए कि हम इन परिस्थितियों से बाहर निकल जाएं। अर्जुन डर गया उसने कहा कि मैं युद्ध नहीं करूंगा। उसने कहा कि मुझे बताओं की मुझे करना क्या है। मैं किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया हूं, मुझे पता नहीं चल रहा है कि मैं क्या करूंगा। ऐसी अवस्था कभी कभी हमारे जीवन में आ जाती है कि हमें पता ही नहीं चलता कि किस दिशा में जाना है। ऐसी अवस्था से बाहर कैसे निकलें। हम किंकर्तव्यविमूढ़ न हों ये भगवदगीता ने हमें बतलाया है। ये भगवदगीता ने तीन तरीकों से बतलाया है।

ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग। तीन तरह के मनुष्य हैं एक हैं बुद्धजीवी माइंडेड ज्ञान प्रधान, दूसरे हैं भावना प्रधान सेंटीमेंटल लोग हैं, तीसरे हैं मेहनतकश यानी कर्म प्रधान लोग कर्म करने वाले। इन तीनों को किस तरह का विचार करना चाहिए, किस तरह का रास्ता है हमें क्या करना चाहिए। ये भगवदगीता से बता दिया है, भगवान कृष्ण से बता दिया है और अगर हम उसपर चल लें तो हम बड़े कूल होकर जीवन को धीरे-धीरे आगे बढ़ा सकते हैं कोई समस्या आएगी ही नहीं।

जीवन है तो समस्याएं रहेंगी, घटनाएं घटेंगी लेकिन वो घटनाएं हमें दुख नहीं देंगी। जब व्यक्ति चित्त की संतुलित अवस्था मे रहेगा तो समस्याओं का समाधान जल्दी पा लेगा। जितने भी सफल व्यक्ति हैं जो ऊंचाईयों पर हैं वो भगवदगीता को जरूर पढ़ते हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भगवदगीता के इतने बड़े भक्त थे कि वो संतों के चरणों में बैठकर भगवदगीता पर चर्चा करते थे उसका अर्थ पूछा करते थे। भगवदगीता का ये उपदेश किसी जाति, किसी धर्म के लिए नहीं है ये सब के लिए है, मानवमात्र के लिए है। जिस तरह आप एक दवा लेते हैं एलोपैथी की या होमियोपैथी की वो किसी जाति या किसी धर्म को देखकर काम नहीं करती ये यूनिवर्सल रूप से काम करती है।

उसी तरह भगवदगीता के जो नियम हैं वो सभी मानवमात्र पर यूनिवर्सली लागू होते हैं चाहे वो किसी भी जाति हो किसी भी धर्म का हो और जब हम जीवन में ऊंचाई पर बढ़ते हैं तो हमारा विजन क्लियर होता है हमें ये चुनौतियां आती हैं जो अर्जुन के सामने आए और उन चुनौतियों से कैसे निकलना है ये भगवदगीता बतलाती है। यही कारण है कि भगवदगीता विश्व की प्रधानतम किताबों में से एक किताब है। जबकि दुनिया में कोई हिन्दू देश नहीं है। बहुत सारे इस्लामिक कंट्रीज हैं, क्रिश्चियन कंट्रीज हैं उनके बावजूद पूरी दुनिया में भगवदगीता का इतना पढ़ा जाना इस बात का परिचायक है कि जिस समस्या का कहीं भी समाधान नहीं है भगवदगीता में उस समस्या का समाधान है।

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05 January 2023, 03:37 PM IST

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