ॐलोक आश्रम: इस संसार की वास्तविकता क्या है? भाग-2
अगर यही प्रश्न आप हिन्दू धर्म में कहोगे, सनातन धर्म में कहोगे, भगवान श्रीकृष्ण से पूछोगे तो ये कहेंगे कि आपने जैसे कर्म किए उसके हिसाब से आपको जीवन मिला है।
अगर यही प्रश्न आप हिन्दू धर्म में कहोगे, सनातन धर्म में कहोगे, भगवान श्रीकृष्ण से पूछोगे तो ये कहेंगे कि आपने जैसे कर्म किए उसके हिसाब से आपको जीवन मिला है। आपने अच्छे कर्म किए तो आपको अच्छी जगह जीवन मिला आपने बुरे कर्म किए तो आपको बुरी जगह जीवन मिला। जीवन में आपके अच्छी और बुरी दोनों घटनाएं घटती जाती है जो आपके हाथ में नहीं होती जिनका आपके कर्मों से कोई संबंध नहीं होता। वो आपके पहले किए हुए कर्म हैं जो कि आपको फल दे रहे हैं। ये एक तार्किक सिद्धांत है जो तार्किक सिद्धांत हमें दिखाई देता है जिससे ईश्वर की व्याख्या होती है ईश्वर न्यायप्रिय दिखाई देता है। अगर हम पहले सिद्धांत को मानें तो ईश्वर हमें न्यायप्रिय दिखाई नहीं देता लेकिन यह सिद्धांत ईश्वर को न्यायप्रिय बतलाता है। ईश्वर की जैसी संकल्पना है उस तरह का बतलाता है।
भगवान कृष्ण कह रहे हैं कि ऐसा कोई समय नहीं था जब आप नहीं थे, हम नहीं थे, हमारा रूप बदल रहा है हम अलग-अलग समय में अलग-अलग नामों से पैदा हो रहे हैं और यह शरीर ऐसा है कि आज है और कल नहीं है। इसी शरीर में कभी हम जवान थे कभी बच्चे थे कभी बूढ़े हैं। शरीर बदलता रहा है और ये शरीर छोड़कर आत्मा दूसरे शरीर को ग्रहण कर लेती है तो इस शरीर में इतना मोह क्यों रख रहे हो। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ये जो भगवदगीता के सिद्धांत है इस सिद्धांत की इतनी पहुंच थी कि पूरा यूनान इस सिद्धांत को मानता था।
सुकरात, अरस्तु और प्लेटो इसी सिद्धांत को मानते थे। प्लेटो ने अपने मेनो नामक किताब में लिखा है कि ज्ञान हमारी पूर्वजन्मों की स्मृति है। इजिप्ट में भारतीय सभ्यता, भारतीय संस्कृति के सारे अंग थे। ईरान के अंदर तो थे ही। इंडोनेशिया तक ये फैला था। ये एक दार्शनिक सिद्धांत था जिसे पूरे विश्व ने माना और इसपर बड़े वैज्ञानिक रिसर्च भी हुए हैं। कई किताबें भी लिखी गईं। जिसमें 1000-1500 कुछ ऐसे लोगों को लिया गया जिसको पिछले जन्म का कुछ याद आ गया। उनपर बहुत डिस्कस और डिबेट किया गया और दिखाया गया कि पिछला जन्म है। ये किताबें ऐसे लोगों के द्वारा लिखी गईं हैं जिनमें जयादातर क्रिश्चियन थे। जिन्होंने इसपर रिसर्च किया है जिन्होंने इसपर विचार किया है। चूंकि वो क्रिश्चियन थे तो पहले से उनके दिमाग में नहीं था कि पुनर्जन्म होता है लेकिन इन सब के बावजूद उन्होंने कहा कि हां पुनर्जन्म होता है।
अगर हम पुनर्जन्म के सिद्धांत को मानते हैं और पुनर्जन्म को वैज्ञानिक रूप से हम सिद्ध कर पा रहे हैं उससे यह सिद्ध होता है कि भगवदगीता में जो बातें लिखी गई हैं वो सही हैं। भगवदगीता में ये लिखा गया है कि इस पृथ्वी पर एक निश्चित समय के लिए हम आए हुए हैं और जो भी कार्य हम करेंगे वह कार्य हमारे आगामी जीवन को प्रभावित करेगा और पिछले जीवन से वो कार्य प्रभावित भी होता है। इसलिए जरूरी है कि हम काम को ठीक से करें, काम को सोच-समझकर करें। जो हम पिछले जन्म में थे उसपर हमरा कोई कंट्रोल नहीं है आगे क्या होंगे उसपर हमारा कंट्रोल नहीं है इसलिए इसपर हम दुख न मनाएं।