ॐलोक आश्रम: कर्म और फल के बीच क्या संबंध है? भाग-2

भगवान कृष्ण कहते हैं कि जैसा आप कर्म करोगे वैसा ही आपको फल मिलेगा। आप जो इस जन्म में हो वो पिछले जन्मों के कर्मों का परिणाम है।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

भगवान कृष्ण कहते हैं कि जैसा आप कर्म करोगे वैसा ही आपको फल मिलेगा। आप जो इस जन्म में हो वो पिछले जन्मों के कर्मों का परिणाम है। हम आज जो देखते हैं जैसे कि हमारा मोबाइल है हम उसके सॉफ्टवेयर को अपग्रेड कर लेते हैं। इस तरह हमारी अन्तरात्मा सॉफ्टवेयर की तरह है उसे हम अपने कर्मो के द्वारा उसको अपग्रेड करते हैं अगर हम अच्छा कर्म करते हैं तो इस जन्म में भी हम खुश रहते हैं और अगला जन्म जो हमें मिलेगा वो अगला जन्म इसी जन्म का अपग्रेडेड वर्जन होगा और अगर हम बुरे कर्म करते हैं तो हम डाउनग्रेड हो जाएंगे।

यह व्यवस्था भी ठीक लगती है कि अगर व्यक्ति ने कुछ कर्म किए हैं तो उसका उसे पारिश्रमिक मिलना चाहिए। दूसरी बात ये है कि अगर हमने कर्म पृथ्वी पर किए हैं और हमें उसका परिमाम किसी दूसरे लोक में मिले। जन्नत या जहन्नुम के रूप में, स्वर्ग या नर्क के रूप में तो वो भी उचित नहीं है। अगर हमने कर्म इस लोक में किए हैं तो परिणाम भी इसी लोक में मिलने चाहिए।  अगर अच्छे कर्म किए हैं तो अच्छे परिणाम मिले और बुरे कर्म किए हैं तो बुरे परिणाम मिले।

यही भगवान कृष्ण कहते हैं कि बहुत सारे जन्म तुमने व्यतीत किए हैं, बहुत सारे मैंने भी व्यतीत किए हैं। जो व्यक्ति जिस तरह का काम करता है उसी तरह का जन्म उसको मिलता है। इसलिए अच्छे कर्म सोने की तरह है जो अच्छे संस्कारों को उत्पन्न करता है उसके फलस्वरूप आपको अच्छा जन्म मिलता है और बुरे कर्म कोयले की तरह हैं जो काले संस्कारों को उत्पन्न करता है। अगर आपको कर्मों के बंधन से छूटना है तो आपको न तो अच्छे कर्म करने हैं न बुरे कर्म करने हैं और निष्काम भाव से कर्म करने हैं और ऐसे कर्म आपको बंधन में नहीं बांधेंगे। धीरे-धीरे आप मुक्त हो जाओगे और आपका प्रभु के साथ मिलन हो जाएगा।

हम विचार करेंगे कि सुख क्यों गायब हो जा रहा है। हम बहुत डिमांडिंग हो गए हैं। हम सबसे बहुत अपेक्षाएं करने लगे हैं। बेटा मां-बाप से अपेक्षा करता है पत्नी पति से अपेक्षा करती है मां-बाप अपने बच्चों से अपेक्षा करते हैं। राज्य से अपेक्षाएं। ये जो अपेक्षाएं हैं वो दुख का कारण हैं। आप सपोज कीजिए कि मुझसे मेरी पत्नी अपेक्षा कर रही है, मेरा बेटा अपेक्षा कर रहा है, मेरा बॉस अपेक्षा कर रहा है, मेरे मां-बाप अपेक्षा कर रहे हैं। अलग-अलग जगहों से लोग मुझसे अपेक्षाएं कर रहे हैं। अगर मनुष्य सभी की अपेक्षाएं पूरा करने में लग जाए तो वो अपना जीवन कभी जी नहीं पाएगा। अगर हम एक की अपेक्षाएं पूरे करें तो हो सकता है कि दूसरे की अपेक्षा अधूरी रह जाएं। जब आप अपना जीवन स्वयं नहीं जीते हो।

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17 January 2023, 03:02 PM IST

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