ॐलोक आश्रम: धर्म को किस तरह का कार्य करना चाहिए? भाग-1

आज अगर हम अपने आसपास नजर दौड़ाते हैं तो धर्म अपने कुछ कट्टरतावादी रूप में दिखाई देता है। कहीं ऐसे रूप में दिखाई दे रहा कि लोगों को सर तन से जुदा करने की धमकी मिल रही है।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

आज अगर हम अपने आसपास नजर दौड़ाते हैं तो धर्म अपने कुछ कट्टरतावादी रूप में दिखाई देता है। कहीं ऐसे रूप में दिखाई दे रहा कि लोगों को सर तन से जुदा करने की धमकी मिल रही है। कहीं हिजाब को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। हिजाब न पहनने को लेकर ईरान में एक महिला को जान से मार दिया गया। हिजाब पहनने और न पहनने को लेकर देश दुनिया में हिंसक प्रदर्शन तक हो रहे हैं। ऐसे में प्रश्न उठ रहा है कि धर्म कैसा होना चाहिए। धर्म किस तरह का होना चाहिए। क्या सही है क्या गलत है। अगर हिजाब पहनना सही है तो विरोध क्यों हो रहा है। अगर हिजाब पहनना गलत है तो फिर पहनने के लिए जोर-जबरदस्ती क्यों की जा रही है। क्यों डराया धमकाया जा रहा है।

धर्म को किस तरह का कार्य करना चाहिए। धर्म को लोगों को गाइडलाइन देनी चाहिए, अनिवार्यताएं करनी चाहिए या ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। ये तो निश्चित बात है कि धर्म ऐसे ही लोगों को नहीं छोड़ता और न ही उसे छोड़ना चाहिए। अगर धर्म गाइडलाइन देगा तो हो सकता है कि लोग अपनी सुविधा के अनुसार उसे फॉलो करें या न करें। कभी कुछ अनिवार्यताएं भी होंगी लेकिन अनिवार्यता किस तरह से बनाई जाएं। किस तरह से उन्हें लागू किया जाए। हम एक कहानी से इसको समझने का प्रयास करते हैं कि धर्म किस तरह से अपने पैमाने सेट करता है। अपने आदर्श को किस तरह से लोगों के सामने रखता है। जातक कथाओं में भगवान की बुद्ध की कई कथाएं है। उनमें से ही एक कथा है दो स्वर्ण मृगों की कथा।

बहुत प्राचीन समय की बात है एक राजा राज्य करता था और उसे शिकार का बहुत शौक था। प्राचीन काल में राजा शिकार किया करते थे और जानवरों का मांस खाकर अपनी भूख भी मिटाया करते थे। शिकार करने में उन्हें बड़ा आनंद आता था। शिकार का पीछा करते कभी कभी वह मीलों जंगलों में चले जाते थे और अपनी पसंद का शिकार करके लाते थे। अपने स्वाद के लिए भी जानवरों का मांस खाया करते थे। ये एक आम बात थी लेकिन इसमें खास बात यह है कि उस जंगल में दो ऐसे मृग थे जो सोने के दिखते थे। उन दोनों मृगों में बिल्कुल सोने के मृगों के जैसी समानता थी। राजा ने उन मृगों को देखा और बहुत मोहित हुआ। बड़ा आश्चर्य हुआ उसे कि इतने सुंदर मृग इस जंगल में हैं। उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि इस जंगल में जितने भी मृग हैं उनको पकड़ लो।

आदेश के बाद सैनिक जंगल के सारे मृगों को पकड़ लाए साथ में सोने के दोनों मृगों को भी पकड़ा गया। राजा ने उन सोने को दोनों मृगों को ये कहा कि तुम दोनों को हम अभयदान देते हैं। तुम दोनों का न तो कोई शिकार करेगा और न ही तुम्हें मारा जाएगा। तुम दोनों के रहने की व्यवस्था की जाएगी। उनमें से एक मृग ने कहा कि महाराज आप शिकार करने जाते हैं। ढोल नगाड़े बजते हैं। पूरी सेना खड़ी होती है। कुछ मृगों को आप मार देते हैं कुछ मृग मरने से बचने के चक्कर में लंगड़े-लूले हो जाते हैं। कुछ छोटे बच्चे होते हैं जो वैसे ही दबकर मर जाते हैं। बच्चे डर जाते हैं, हिरणियां डर जाती हैं। 

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22 December 2022, 05:22 PM IST

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