हम दबाव में कब आते हैं? भाग -1

हम अपने स्वाभाविक कर्म नहीं कर पाते अगर हम दबाव में आ जाएं। दबाव क्यों होता है हमारे अंदर, हम दबाव में क्यों आ जाते हैं जब हम परिणामों के बारे में सोचने लगते हैं। जब हम सोचते हैं कि हम जीतेंगे नहीं जीतेंगे, हम हारेंगे नहीं हारेंगे, अगर हार गए तो क्या होगा लोग हमें क्या कहेंगे। रणभूमि में भी अर्जुन

Sagar Dwivedi
Sagar Dwivedi

हम अपने स्वाभाविक कर्म नहीं कर पाते अगर हम दबाव में आ जाएं। दबाव क्यों होता है हमारे अंदर, हम दबाव में क्यों आ जाते हैं जब हम परिणामों के बारे में सोचने लगते हैं। जब हम सोचते हैं कि हम जीतेंगे नहीं जीतेंगे, हम हारेंगे नहीं हारेंगे, अगर हार गए तो क्या होगा लोग हमें क्या कहेंगे। रणभूमि में भी अर्जुन इस तरह के दबाव में थे। दरअसल हमारे शरीर का हमारे मन का बड़ा गहरा संबंध है। जब हमारे मन में तनाव आ जाता है हम डर जाते हैं। हम अवसाद की स्थिति में होते है तो हमारा शरीर भी शिथिल पड़ जाता है। उसमें जान सी नहीं रहती। इसी तरह से जब हमारे शरीर में कष्ट रहता है तो हमें कहीं मन नहीं लगता है। तन और मन का संबंध बड़ा अद्वितीय है ये एक-दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं। तन और मन के संबंध के कैसे मजबूत बनाया जाए।

मन को किस तरह से मजबूत बनाया जाए कि ये विपरीत परिस्थितियों में भी न झुके न मुड़े। अगर भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ नहीं होते तो शायद युद्ध प्रारंभ होने से पहले ही अर्जुन युद्ध से चले जाते और खत्म हो जाता। हमारे जीवन में एक गुरु का होना जरूरी है जो हमें बताए कि हमें क्या करना है क्योंकि परिस्थितियां विपरीत आएंगी। हम कितना भी अनुमान क्यों न लगा लें लेकिन उससे कई गुना ज्यादा विपरीत परिस्थितियां आएंगी। बड़े-बड़े योजना बनाने वाले भी फेल हो जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में हमें हमारा गुरु ही इससे निकलने का मार्ग बतलाता है। अर्जुन की समस्या आज हर युवा की समस्या है।

हर युवा को लग रहा है कि हम इस जीवन का किस तरह से जीएंगे। हमारी नौकरी कैसे लगेगी। हमारा जीवन यापन कैसे होगा। हम किस तरह से जीवन जीएंगे। हम किस तरह से अपने बिजनेस में सफल होंगे। किस तरह से मैं आईआईटी क्वालिफाई कर सकूंगा किस तरह से मैं यूपीएससी क्वालिफाई कर सकूंगा। एक खिलाड़ी सोचता है किस तरह से टीम में मेरा स्थान हो पाएगा। बहुत सारे युवा अवसाद में चले जाते हैं बहुत सारे युवा आत्महत्या कर लेते हैं। अगर हमें सर्वोच्च तरह से परफॉर्म करना है तो क्या करना है हमें। ऐसी कौन सी विद्या है ऐसा कौन सा ज्ञान है जिसको अगर हम अपने पास रख लें तो हम सर्वोच्च तरीके से परफॉर्म कर सकते हैं। 

हमारा चिंतन क्या होना चाहिए। जब हम जीवन का विकट युद्ध लड़ रहे होते हैं तो कभी कभी हम हताशा में चले जाते हैं, हम अंधकार में चले जाते हैं हम हारने लगते हैं और हमें लगता है कि शायद अब कोई रास्ता बचा नहीं है। सबकुछ समाप्त हो चुका है ऐसा विचार हमारे मन में आ जाना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसी अवस्था में आपको गुरु बतलाएगा कि आपको करना क्या है और हमारा सबका जो सर्वकालीन गुरु है वो है भगवदगीता है भगवान कृष्ण हैं। वो अर्जुन को बतलाते हैं कि करना क्या है। पूरी भगवदगीता इसी प्रश्न का उत्तर है कि जीवन को किस तरह जीना है। 

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04 January 2023, 03:59 PM IST

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