ॐलोक आश्रम: ईश्वर तक पहुंचने का सबसे सुगम रास्ता कौन सा है? भाग-1
हम जीवन में कई सारी चीजें चाहते हैं। कई सुख सुविधाएं चाहते हैं। इन चीजों को पाने के लिए कई यत्न भी करते हैं।
हम जीवन में कई सारी चीजें चाहते हैं। कई सुख सुविधाएं चाहते हैं। इन चीजों को पाने के लिए कई यत्न भी करते हैं। कई दिशाओं में आगे भी बढ़ते हैं और कई बार प्रश्न भी उठता है कि ईश्वर के पास पहुंचने का सबसे अच्छा रास्ता कौन सा है। ईश्वर के पास पहुंचने का सबसे सरल रास्ता कौन सा है। भगवान कृष्ण ने गीता में ईश्वर तक पहुंचने के तीन मार्ग मुख्य तौर पर बताए हैं लेकिन वो व्यक्ति के प्रवृत्ति के हिसाब से रास्ते हैं। सबसे पहले व्यक्ति अपनी प्रवृति को समझे और उसके बाद उन रास्तों में आगे बढ़े। क्योंकि प्रवृति को समझना काफी जरूरी है।
अर्जुन भगवान कृष्ण से पूछते हैं कि श्रेष्ठ रास्ता कौन सा है। ज्ञानी श्रेष्ठ है, भक्त श्रेष्ठ है या कर्म करने वाला श्रेष्ठ है। भगवान कृष्ण कहते हैं कि तीनों रास्ते अलग हैं। तीनों व्यक्ति के प्रवृत्ति के हिसाब से हैं और ये तीनों रास्ते एक जगह आकर मिल जाते हैं। वह तीनों का मिलन बिंदु होता है। एक ही जगह आकर तीनों मिल जाते हैं जैसे गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी है वैसे ही ज्ञान मार्ग, कर्म मार्ग और भक्ति मार्ग ये तीनों त्रिवेणी पर आकर मिल जाते हैं। भगवान कृष्ण श्रेष्ठता की बात करते हुए बताते हैं कि कहीं से भी आप शुरूआत कर सकते हो लेकिन अगर ज्ञान से शुरुआत कर रहे हो तो ज्ञानियों को समझना चाहिए। उन्हें जानना चाहिए।
अगर आप अभ्यास कर रहे हो। आसन और प्राणायाम कर रहे हो तो आसन-प्राणायाम आपको अच्छा स्वास्थ्य देगा, मन पर नियंत्रण देगा। आसन-प्राणायाम को अपनाकर आप न सिर्फ एक स्वस्थ जीवनशैली अपना सकते हो बल्कि एक सकारात्मक जीवन भी जी सकते हो। आसन-प्राणायाम आपके शरीर में नई ऊर्जा का संचार करेगा ताकि आप मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से स्वस्थ रह सको। आसन और प्राणायाम आपको एकाग्रचित बनाएगा और इस एकाग्रता से आपको सांसरिक जीवन में फायदा होगा।
आप इसका लाभ महूसस कर सकेंगे। आप स्वस्थ रहोगे, एकाग्रचित रहोगे तो जीवन में सफलताएं प्राप्त करोगे। जीवन में आगे बढ़ोगे। उन्नति की नई-नई सीढ़ियां चढ़ सकोगे। इससे और आगे अगर जाना है तो आपको ज्ञान मार्ग पर चलना होगा।