ॐलोक आश्रम: भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध क्यों होने दिया? भाग-2
सबसे पहले जीवन में जब हमारे सामने ऐसी परिस्थितियां आए तो सबसे पहले हमें अपने डर से लड़ना है। हमें तनाव से लड़ना है हमें टेंशन से लड़ना है।
सबसे पहले जीवन में जब हमारे सामने ऐसी परिस्थितियां आए तो सबसे पहले हमें अपने डर से लड़ना है। हमें तनाव से लड़ना है हमें टेंशन से लड़ना है। हमें इस बात को देखना है कि हम स्थिर हो जाएं हम निष्पक्ष हो जाएं और हम अपने डर को कह दें कि आप किनारे रहो। हमें यह पता होना चाहिए कि वस्तुस्थिति ऐसी नहीं जैसा मैं सोच रहा हूं। मैं तटस्थ हूं। मुझे ये पता होना चाहिए कि मेरा डर जो है मुझे ऐसे तर्क देने के लिए बाध्य कर रहा है। पाश्चात्य दार्शनिक ह्यूम कहते हैं कि बुद्धि वासनाओं की दासी है। वासनाएं हमारे लिए लक्ष्य निर्धारित करती हैं और बुद्धि उसको पाने में जुट जाती हैं। जैसे आपने एक बहुत अच्छा कार देखी तो जो आपकी वासना है जो इच्छा है कि अगर ये कार मुझे मिल जाए तो मजा आ जाए।
अब बुद्धि जुट जाती है पैसे कमाने में। ये कार कैसे प्राप्त की जाए। कौन सा तिकड़म भिड़ाया जाए कि हमारे पास पैसा आ जाए और हम ये कार खरीद लें। सारे तिकड़म लगाने लगते हैं। मान लीजिए एक लड़का है उसने बहुत सुंदर सी लड़की देखी। अब उसको लग रहा है कि अगर इस लड़की से प्यार हो जाए तो मजा आ जाए। अब उसकी बुद्धि वो सारे तिकड़म लगाने लगती है कि वो लड़की किस तरह पट जाए। बुद्धि तिकड़म करती है वासनाओं की पूर्ति के लिए। ये जो अवस्था होती है इसे अच्छी अवस्था नहीं कही जा सकती है। यह आपके जीवन को नष्ट कर देने वाली अवस्था है। क्योंकि अगर एक वासना पूरी होगी तबतक कोई दूसरी वासना उससे बड़ी बनकर खड़ी हो जाएगी। आज आपने एक कार ले ली तो कल आप उससे भी बड़ी कार लेने के लिए व्याकुल हो उठोगे। कोई बड़ा घर पाने के लिए व्याकुल हो उठोगे। आप भागते-भागते बूढ़े हो जाओगे लेकिन आपकी इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होंगी।
उपाय क्या है जीवन को जीने का? जीवन को जीने का उपाय है कि वासनाएं हमेशा बुद्धि के नियंत्रण में रहे, वासनाओं की संतुष्टि जरूरी है लेकिन उसपर बुद्धि का नियंत्रण रहे। खाना जरूरी है लेकिन कितना खाना है क्या खाना है ये बड़ा महत्वपूर्ण है। हमें चाहिए हमें हर चीज चाहिए लेकिन कितनी चाहिए कैसी चाहिए, साध्य तो हमें चाहिए लेकिन कैसे मिलेंगे ये भी बड़ा महत्वपूर्ण है। अगर हमें चोरी करके मिल रहे हैं तो वो सही नहीं है तो बुद्धि का नियंत्रण होना चाहिए वासनाओं में। जब हमारी वासनाएं तर्क दे रही है कि युद्ध बेकार है भाग जाओ, मत लड़ो तो हमें निष्पक्ष होना चाहिए और हमें जज करना चाहिए कि नहीं ये हमारा डर है जो हमपर सवार है और ये हमारा डर ये सारे तर्क ला रहा है तो पहले तो आप डर को किनारे कर दो और आप निष्पक्ष रूप से विवेचना करो।
भगवान कृष्ण अर्जुन से बता रहे हैं कि तुम डर गए हो तुम्हारे अंदर नपुंसकता आ गई है और इस वजह से तुम ऐसे-ऐसे तर्क दे रहे हो ऐसा सोच रहे हो। जो नहीं सोचना चाहिए वो तुम सोच रहे हो और उल्टे-पुल्टे तर्क दे रहे हो। भगवान कृष्ण कह रहे हैं कि अब तुम युद्ध के बीच में खड़े हो अब जो हो चुका और जो होगा उन दोनों को मत सोचो तुम्हें क्या करना है ये तुम सोचो। यही मैनेजमेंट की सबसे महत्वपूर्ण सीख है। हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण सीख यही है कि हम वर्तमान में रहें और हमारी समस्या यही है कि हम वर्तमान में नहीं रहते क्योंकि वर्तमान में रहना कष्टकारी होता है।