Sawan 2025: शिव की भक्ति का महीना, जानें सावन का आध्यात्मिक संदेश
सावन मास में भक्त प्रकृति के सौंदर्य के साथ शिव भक्ति में लीन होते हैं. यह आत्मा की शुद्धि और संयम का प्रतीक होता है. भगवान शिव की सादगी, सहिष्णुता और त्याग से जीवन में संतुलन और मोक्ष का मार्ग मिलता है.

सावन मास हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से भरा समय माना जाता है. इस दौरान प्रकृति भी भक्ति के रंग में रंगी नजर आती है. हरियाली से सजी धरती, ठंडी बारिश की बूंदें और 'बोल बम' की गूंज से वातावरण आध्यात्मिक बन जाता है.
सावन में लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं
इसी महीने में लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं और गंगाजल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने और भगवान शिव से जुड़ने की साधना है. शिव जी की सादगी भस्म, जटा, नागमाला और त्रिशूल यह संदेश देती है कि भौतिक सुखों से नहीं, बल्कि सादगी में सच्चा आनंद और शांति छुपी है.
भगवान शिव एक ओर गहन तपस्वी हैं तो दूसरी ओर आदर्श पति और पिता भी हैं. उनका जीवन दिखाता है कि त्याग और गृहस्थ जीवन में संतुलन ही सच्चा धर्म है. सावन में केवल जल चढ़ाना पर्याप्त नहीं, बल्कि शिव के गुण दया, सहनशीलता, नम्रता और समभाव अपने भीतर उतारना भी जरूरी है.
शिव ही मोक्ष का मार्ग
समुद्र मंथन में विषपान कर शिव ने समस्त सृष्टि की रक्षा की और फिर भी शांत व करुणामय बने रहे. उनका यह बलिदान हमें सिखाता है कि सच्चा भक्त वही है जो अपने अहंकार और क्रोध को त्यागकर सबके लिए हितकारी बन जाए. शिव को अनादि और अनंत कहा गया है, क्योंकि जब कुछ भी नहीं था, तब भी वे ही थे. इसीलिए शिव ही मोक्ष का मार्ग हैं.


