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1983 से 2025 तक....चैंपियन बनने के बाद हरमनप्रीत कौर ने गावस्कर की तरह कमाल कर दिखाया

नवी मुंबई में हुए 2025 महिला विश्व कप फाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर खिताब जीता. कप्तान हरमनप्रीत कौर ने शानदार नेतृत्व दिखाया और जीत की गेंद जेब में रखकर 1983 की याद ताज़ा की. यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के नए युग की शुरुआत बनी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

मुंबईः भारत ने आखिरकार आईसीसी खिताब का अपना लंबा इंतजार खत्म कर दिया. नवी मुंबई के डॉ. डीवाई पाटिल स्टेडियम में सोमवार की रात भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर 2025 महिला विश्व कप अपने नाम कर लिया. खचाखच भरे स्टेडियम में जब जीत का क्षण आया, तो हरमनप्रीत कौर का शांत चेहरा और उनका एक छोटा सा भाव पूरे देश के दिल में बस गया. उन्होंने जीत की गेंद अपनी जेब में डाल ली, बिल्कुल वैसे ही जैसे सुनील गावस्कर ने 1983 में भारत की पहली विश्व कप जीत के बाद किया था.

हरमनप्रीत का ‘गावस्कर पल’

मैच के आखिरी ओवर में दक्षिण अफ्रीका की बल्लेबाज नादिन डी क्लार्क ने कवर की ओर एक जोरदार शॉट खेला, लेकिन हरमनप्रीत कौर ने शानदार छलांग लगाकर हवा में ही कैच लपक लिया. जैसे ही भारतीय टीम जश्न मनाने दौड़ी, हरमनप्रीत मुस्कुराईं, गेंद उठाई और उसे अपनी जेब में डाल लिया. यह दृश्य पूरे स्टेडियम में गूंज उठा, एक पल जिसने भारतीय क्रिकेट के इतिहास को फिर से जोड़ दिया.

कप्तान के रूप में ऐतिहासिक पारी

हरमनप्रीत अब उन चुनिंदा कप्तानों की सूची में शामिल हो गई हैं जिन्होंने भारत को विश्व कप जिताया. कपिल देव (1983), एमएस धोनी (2011) और अब हरमनप्रीत कौर (2025). भारत की जीत कई खिलाड़ियों के संयुक्त प्रयास का नतीजा थी. शेफाली वर्मा ने 87 रनों की विस्फोटक पारी खेलकर शानदार शुरुआत दी. दीप्ति शर्मा ने बल्ले और गेंद दोनों से बेहतरीन प्रदर्शन किया. गेंदबाजों ने दबाव में संयम दिखाया और दक्षिण अफ्रीका को 299 के लक्ष्य तक पहुंचने से रोका.

हरमनप्रीत के रणनीतिक फैसले भी कमाल के रहे. उन्होंने जब शेफाली को गेंद थमाई, जिन्होंने वनडे में इससे पहले सिर्फ़ 14 ओवर फेंके थे. तो यह एक जोखिम भरा लेकिन निर्णायक फैसला था. शेफाली ने तुरंत सुने लुस और मारिज़ैन कैप के अहम विकेट निकालकर मैच को भारत के पक्ष में मोड़ दिया.

यह अंत नहीं, एक नई शुरुआत है

मैच के बाद हरमनप्रीत ने भावुक होकर कहा कि यह जीत एक नए युग की शुरुआत है. हम इस बाधा को तोड़ना चाहते थे और अब इसे आदत बनाने का समय है. आने वाले समय में हम और मजबूत होकर लौटेंगे — यह अंत नहीं, बस शुरुआत है.” उनकी यह बात दर्शाती है कि भारतीय महिला क्रिकेट अब आत्मविश्वास और निरंतरता के नए दौर में प्रवेश कर चुका है.

जश्न का संगम

जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, डीवाई पाटिल स्टेडियम में भारतीय तिरंगा लहराता रहा, भीड़ भारत माता की जय के नारों से गूंज उठी. लेकिन शोर के बीच हरमनप्रीत का वह शांत क्षण गेंद को जेब में डालना सबसे ज्यादा गूंजा. वह पल केवल एक जीत का नहीं, बल्कि 1983 के लॉर्ड्स से लेकर 2025 के नवी मुंबई तक भारत की क्रिकेट यात्रा के पूर्ण चक्र का प्रतीक बन गया.

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03 November 2025, 01:24 PM IST

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