Womens World Cup 2025: सेमीफाइनल में जगह बनाने के लिए कितनी मैच जीतना जरूरी, जानें पूरा गणित यहां
महिला विश्व कप में रोमांचक मुकाबले जारी हैं. इंग्लैंड ने दक्षिण अफ्रीका को बुरी तरह हराया, जबकि भारत और ऑस्ट्रेलिया अपराजित हैं. न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका अब तक जीत नहीं पाए. सेमीफाइनल की दौड़ में चार से पाँच जीत अहम होंगी और नेट रन रेट निर्णायक भूमिका निभा सकता है.

ICC Women’s World Cup 2025: महिला विश्व कप क्रिकेट जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है. टूर्नामेंट का रोमांच भी चरम पर पहुँचने लगा है. शुरुआती दिनों में ही कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए. गुवाहाटी में इंग्लैंड ने दक्षिण अफ्रीका को उसके बेहद खराब प्रदर्शन के चलते पूरी तरह परास्त कर दिया. वहीं, ऑस्ट्रेलिया और भारत अब तक अपराजित रहे हैं. हालांकि उनके मैच आसान नहीं रहे, लेकिन दोनों टीमों की गहराई और संतुलन ने उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी जीत दिलाई. दूसरी ओर, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीमें अब तक जीत का स्वाद नहीं चख सकी हैं और 6 अक्टूबर को इंदौर में होने वाला उनका मुकाबला बेहद अहम साबित होने वाला है.
भारत और ऑस्ट्रेलिया की स्थिति
भारत ने पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ लगातार दो जीत दर्ज की है. यह दोनों टीमें अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती हैं, फिर भी जीत ने भारत के आत्मविश्वास को बढ़ाया है. दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया का एक मैच बारिश की वजह से धुल गया, जिससे उन्हें एक अंक हासिल हुआ. यह अतिरिक्त अंक आगे जाकर उनके क्वालीफाई करने में बड़ा योगदान दे सकता है, खासकर अगर वे किसी मजबूत टीम से हार जाते हैं.
इंग्लैंड की धमाकेदार वापसी
इंग्लैंड टूर्नामेंट में अपने असंगत प्रदर्शन और नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चा में था. लेकिन उन्होंने शुरुआत में ही दक्षिण अफ्रीका को सिर्फ 69 रनों पर समेटकर और फिर 10 विकेट से जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया. इस प्रदर्शन के बाद इंग्लैंड को विश्वास है कि वह अगले मुकाबलों में, जहाँ उनका सामना बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी टीमों से होगा, लगातार जीत दर्ज कर सकता है. अगर वे इन चार मैचों में से तीन या चार जीत लेते हैं, तो सेमीफाइनल की दौड़ में बने रहने की उनकी संभावना मजबूत हो जाएगी.
क्वालीफाई की जटिल गणना
आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप का राउंड-रॉबिन प्रारूप हर टीम को सात-सात मैच खेलने का मौका देता है. आठ टीमों की मौजूदगी में किसी टीम को कम से कम चार या उससे अधिक मैच जीतने होंगे ताकि वे सेमीफाइनल की दौड़ में टिक सकें. लेकिन यदि कई टीमें चार जीत पर ही रुकती हैं, तो पाँचवीं जीत निर्णायक साबित हो सकती है. यही वजह है कि सभी टीमें हर मुकाबले में जीत हासिल करने की पूरी कोशिश करेंगी.
नेट रन रेट की अहम भूमिका
इस बार का टूर्नामेंट इतना संतुलित दिख रहा है कि नेट रन रेट (NRR) एक बड़ा फैक्टर बन सकता है. खासकर भारत, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमें यदि अंक तालिका में बराबरी पर रहती हैं, तो इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ अच्छे प्रदर्शन से उनका सेमीफाइनल का रास्ता तय हो सकता है.
हर टीम के लिए बराबर चुनौती
राउंड-रॉबिन प्रणाली का सबसे बड़ा पहलू यह है कि कोई भी टीम किसी भी विपक्षी से बच नहीं सकती. इसका मतलब है कि हर टीम को सातों मुकाबलों में पूरी ताकत झोंकनी होगी. यही मेहनत और निरंतरता उन्हें अंतिम चार तक पहुँचा सकती है और ट्रॉफी उठाने के सपने को साकार कर सकती है.


