केरल में वैक्सीन के बावजूद रेबीज से 7 वर्षीय बच्चे की मौत
केरल में सात साल की निया फैजल की सोमवार को रेबीज संक्रमण के कारण मौत हो गई. पिछले एक महीने में यह राज्य में रेबीज से किसी बच्चे की तीसरी मौत है, जबकि तीनों ही मामलों में बच्चों को टीके लगाए गए थे.

केरल के कोल्लम जिले की रहने वाली सात साल की निया फैजल की सोमवार को रेबीज संक्रमण के कारण मौत हो गई, जबकि उसे कुत्ते के काटने के बाद समय पर टीका लगाया गया था. बच्ची को गंभीर हालत में श्री अवित्तम तिरुनल (एसएटी) अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन इलाज के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी.
एक महीने में तीसरी मौत
पिछले एक महीने में यह राज्य में रेबीज से किसी बच्चे की तीसरी मौत है, जबकि तीनों ही मामलों में बच्चों को टीके लगाए गए थे. इससे पहले मलप्पुरम जिले की छह साल की जिया फारिस और पथानामथिट्टा की 13 वर्षीय एक और लड़की की भी इसी तरह मौत हो चुकी है.
निया की मां ने अस्पताल से शव ले जाते समय गहरी वेदना के साथ कहा कि ऐसी त्रासदी किसी और परिवार के साथ न हो. उन्होंने बताया कि उनके घर के पास लंबे समय से कचरे का ढेर जमा था, जिस पर कई बार आपत्ति जताने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसी गंदगी के कारण आवारा कुत्ते आसपास मंडराने लगे और उन्होंने अचानक निया पर हमला कर दिया.
अस्पताल परिसर में आवारा कुत्ते
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब एसएटी जैसे बड़े अस्पताल के परिसर में भी आवारा कुत्ते बेखौफ घूमते हैं, तो वहां इलाज के लिए आने वाले बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा रही है? परिवार ने क्वारंटीन नियमों का पालन करते हुए बच्ची के शव को घर नहीं ले जाकर गांव में ही दफनाया.
एसएटी अस्पताल की अधीक्षक डॉ. एस बिंदु ने बताया कि टीकों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाना सही नहीं होगा, क्योंकि गहरे और संवेदनशील स्थानों पर काटने की स्थिति में वायरस का मस्तिष्क तक पहुंचने का खतरा बना रहता है. एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि निया के घाव गंभीर थे और खासकर तंत्रिका-संवेदनशील अंगों पर थे, जिससे टीका प्रभावी होने से पहले ही वायरस मस्तिष्क तक पहुंच गया.
सरकारी अस्पतालों में टीकों की गुणवत्ता
स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया कि सभी सरकारी अस्पतालों में टीकों की गुणवत्ता की अच्छी तरह जांच की जाती है और उन्हें मानक दिशा-निर्देशों के अनुसार ही लगाया जाता है. निया को 8 अप्रैल को कुत्ते ने कोहनी पर काटा था. परिवार ने तुरंत प्राथमिक इलाज करवाया और उसे पुनालुर तालुक अस्पताल में ले जाकर सभी जरूरी दवाएं और टीके लगवाए. इसके बावजूद कुछ दिन बाद उसमें रेबीज के लक्षण दिखने लगे और आखिरकार उसकी जान चली गई.


