21 साल बाद डॉ. डेथ का मुख्य सहयोगी अलीगढ़ से अरेस्ट, जानें क्या हैं आरोप
दिल्ली पुलिस ने कुख्यात सीरियल किलर 'डॉक्टर डेथ' के सहयोगी राजेंद्र उर्फ राजुआ को 21 साल बाद अलीगढ़ से गिरफ्तार किया. राजेंद्र 2004 में हत्या और अपहरण के मामलों में वांछित था. शर्मा के अपराध सिंडिकेट से जुड़ा राजेंद्र, किडनी रैकेट और हत्या के कई मामलों में संलिप्त था.

कुख्यात सीरियल किलर देवेंद्र शर्मा उर्फ डॉ. डेथ को दिल्ली पुलिस ने 21 साल बाद गिरफ्तार किया है. आरोपी की पहचान राजेंद्र उर्फ राजुआ के रूप में हुई है. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के कासिमपुर का निवासी है. पुलिस के अनुसार, राजेंद्र 2004 में एक हत्या के मामले में वांछित था और अदालत द्वारा भगोड़ा अपराधी घोषित किया गया था.
गिरफ्तारी की जानकारी
14 जून को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की एक टीम ने राजेंद्र को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया. पुलिस अधिकारी ने बताया कि राजेंद्र 2004 में सरिता विहार पुलिस थाने में दर्ज हत्या, अपहरण, और सबूत मिटाने के मामले में वांछित था. अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित किया था, और वह दो दशकों से फरारी की जिंदगी जी रहा था.
'डॉक्टर डेथ' और उसके अपराध
राजेंद्र, देवेंद्र शर्मा उर्फ 'डॉक्टर डेथ' का करीबी सहयोगी था. शर्मा को पिछले साल राजस्थान के दौसा से गिरफ्तार किया गया था. शर्मा ने आयुर्वेद में स्नातक डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन वह कुख्यात सीरियल किलर के रूप में जाना जाता था. वह 2002 से 2004 तक कई ट्रक और टैक्सी चालकों की हत्या करने में शामिल था. पुलिस का मानना है कि शर्मा 50 से अधिक हत्याओं के लिए जिम्मेदार था.
शर्मा ने अपनी हत्या की वारदातों को इस प्रकार अंजाम दिया कि वह ड्राइवरों को फर्जी यात्रा अनुरोधों के जरिए फंसाता, उन्हें मार डालता और उनके वाहनों को बेच देता. इसके बाद शवों को हजारा नहर में फेंक दिया जाता था, जो कि मगरमच्छों से भरी हुई थी. शर्मा पर दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात अलग-अलग हत्या के मामलों में दोष साबित हो चुका था, और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
अपराध सिंडिकेट का रहस्य
राजेंद्र के खिलाफ पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि वह 1990 और 2000 के दशक में शर्मा के अवैध किडनी प्रत्यारोपण रैकेट से भी जुड़ा था. शर्मा ने पुलिस पूछताछ के दौरान यह खुलासा किया था कि राजेंद्र उस समय से उसके गिरोह का हिस्सा था.
पुलिस ने राजेंद्र की तलाश के लिए कई शहरों में दबिश दी, जिसमें अलीगढ़, जयपुर, और दिल्ली शामिल थे. लंबे समय तक छिपने के बाद, उसे कासिमपुर के एक पंप हाउस में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते हुए पकड़ा गया.
गिरफ्तारी के बाद की जांच
पूछताछ के दौरान, राजेंद्र ने स्वीकार किया कि वह 2003 में एक निजी विवाद के बाद शर्मा के गिरोह में शामिल हुआ था. 2007 में जयपुर में एक हत्या के मामले में गिरफ्तार होने के बाद उसे आजीवन कारावास की सजा दी गई थी, लेकिन उसने अपनी असली पहचान छुपाए रखी और 14 साल तक जेल में बिना किसी अन्य अपराध के बारे में खुलासा किए बिताए.
2021 में जमानत पर रिहा होने के बाद, वह अलीगढ़ में छिपकर रह रहा था. पुलिस ने बताया कि राजेंद्र पर हत्या, अपहरण और डकैती सहित 12 मामले दर्ज हैं, जिनमें दिल्ली और गुरुग्राम में चार हत्याओं के मामले भी शामिल हैं.
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने सभी संबंधित पुलिस स्टेशनों को राजेंद्र की गिरफ्तारी की जानकारी दे दी है और उसकी अन्य आपराधिक गतिविधियों के लिए कानूनी कार्यवाही की प्रक्रिया जारी है.


