23 महीने बाद आज जेल से रिहा होंगे आजम खान, BSP में जाने की अटकलें तेज
Uttar Pradesh politics: समाजवादी पार्टी नेता आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद 23 महीने बाद रिहाई मिलने वाली है. उनकी बसपा में शामिल होने की अटकलें तेज हैं. कई एफआईआर और कानूनी मुश्किलों के बावजूद अब उनका बाहर आना यूपी की राजनीति में नए समीकरण ला सकता है.

Uttar Pradesh politics: समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता आजम खान लंबे समय से सुर्खियों में हैं. 23 महीने से सीतापुर जेल में बंद आजम खान को आखिरकार राहत मिली है. क्वालिटी बार ज़मीन हड़पने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद अब उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. सोमवार को ही उनकी रिहाई होनी थी, लेकिन आधिकारिक वारंट समय पर न पहुंच पाने से यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई. जेल प्रशासन ने अब मंगलवार को उनकी रिहाई के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं.
बहुत जल्द रिहाई
आजम खान के वकील जुबैर अहमद खान ने कहा कि सभी मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है. कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद उनका बाहर आना तय है. उन्होंने कहा कि आज शाम या कल सुबह तक आज़म साहब सीतापुर जेल से बाहर आ जाएंगे.
क्या बसपा में शामिल होंगे आजम खान?
उनकी रिहाई से पहले ही राजनीति में हलचल तेज हो गई है. खासकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में उनके शामिल होने की अटकलें जोरों पर हैं. बलिया की रसड़ा सीट से बसपा के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह ने बयान दिया कि अगर आजम ख़ान बसपा में आते हैं तो पार्टी उनका स्वागत करेगी. उन्होंने कहा कि इससे संगठन को राजनीतिक मजबूती मिलेगी. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें आजम ख़ान की पत्नी तजीन फ़ातिमा और बसपा नेताओं के बीच किसी मुलाकात की जानकारी नहीं है. बावजूद इसके, उन्होंने दोहराया कि बसपा में शामिल होने के इच्छुक हर व्यक्ति का स्वागत है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत
18 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्वालिटी बार जमीन हड़पने के मामले में उन्हें जमानत दी. यह मामला रामपुर के सिविल लाइंस थाने में दर्ज एफआईआर से जुड़ा था. इसी के साथ आजम ख़ान की रिहाई का रास्ता साफ हुआ. इससे पहले 10 सितंबर को भी उन्हें रामपुर की डूंगरपुर कॉलोनी से निवासियों को कथित तौर पर बेदखल करने के मामले में जमानत मिल चुकी थी. इसके अलावा एक पुराने मामले में एमपी-एमएलए अदालत ने उन्हें सड़क जाम और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप से बरी कर दिया था.
लंबे समय से कानूनी मुश्किलों में फंसे
पिछले कुछ वर्षों में आजम खान के खिलाफ लगभग 16 एफआईआर दर्ज हुई हैं. इन मामलों में ज़मीन हड़पने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और अन्य आपराधिक आरोप शामिल हैं. लगातार कानूनी परेशानियों के कारण उन्हें 23 महीने तक जेल में रहना पड़ा.
राजनीतिक समीकरणों पर असर
आजम खान की रिहाई न केवल सपा के लिए राहत की खबर है, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी नए समीकरण बना सकती है. उनके बसपा में शामिल होने की अटकलें इस राजनीतिक हलचल को और बढ़ा रही हैं. वहीं, सपा नेतृत्व उनकी वापसी को पार्टी के लिए ताकत मानता है.


