दो दिन तक मातोश्री में थी बाल ठाकरे की लाश, पूरे मामले की हो CBI जांच... रामदास के बयान से गरमाई राजनीति
Bal Thackeray death controversy : शिवसेना नेता रामदास कदम ने दावा किया कि बाल ठाकरे की लाश दो दिन तक मातोश्री में रखी गई थी और उद्धव ठाकरे ने इसे छिपाया. उन्होंने CBI जांच की मांग की और नारको टेस्ट के लिए भी तैयार रहने की बात कही. कदम के आरोपों पर शिवसेना-यूबीटी ने कड़ी आपत्ति जताई, जबकि दो मंत्री उनकी बात का समर्थन कर रहे हैं, जिससे पार्टी में विवाद बढ़ गया है.

Bal Thackeray death controversy : शिवसेना नेता रामदास कदम ने शनिवार को कहा कि वे नारकोटिक्स टेस्ट के लिए तैयार हैं और उन्होंने अपने उस दावे पर कायम रहे कि स्वर्गीय बाल ठाकरे की लाश दो दिन तक मातोश्री में रखी गई थी. उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से ठाकरे के निधन की जांच कराने के लिए आधिकारिक पत्र लिखने की बात भी कही. कदम का कहना है कि उस समय मातोश्री में मौजूद डॉक्टरों ने उद्धव ठाकरे को सार्वजनिक रूप से बाल ठाकरे के निधन की सूचना देने को कहा था, लेकिन उद्धव ने इसे रोक दिया था.
बाल ठाकरे के निधन को लेकर विवाद
रामदास को मिला दो मंत्रियों का समर्थन
वहीं, रामदास कदम के इन बयानों पर शिवसेना-यूबीटी (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई. पार्टी नेता संजय राउत ने इसे बाल ठाकरे के प्रति धोखा करार दिया और कहा कि ऐसे बयान देने वाले व्यक्ति ने उनका विश्वास तोड़ा है. हालांकि, इन आरोपों के बावजूद रामदास कदम को दो मंत्रियों - संजय शिरसाट और नितेश राणे का समर्थन मिला. दोनों नेताओं ने उद्धव ठाकरे से इस मामले पर जवाब मांगने की भी बात कही.
शिवसेना के अंदर बढ़ा राजनीतिक तनाव
रामदास कदम के आरोपों से शिवसेना के अंदर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है. एक तरफ जहां उद्धव ठाकरे की पार्टी इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रही है, वहीं कुछ नेताओं का कदम का समर्थन इस विवाद को और गहरा कर रहा है. यह मामला पार्टी के भीतर सत्ता संघर्ष और नेतृत्व को लेकर बढ़ती अनबन को भी दर्शाता है.
महाराष्ट्र की राजनीति में नया तूफान
बाल ठाकरे के निधन से जुड़ा यह विवाद महाराष्ट्र की राजनीति में नया तूफान लेकर आया है. रामदास कदम के आरोपों ने शिवसेना को अंदरूनी तौर पर दो खेमों में बांट दिया है. CBI जांच की मांग से यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में है. आने वाले समय में इस विवाद का राजनीतिक और कानूनी रूप सामने आना बाकी है, जो महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकता है.


