54 साल बाद खोला गया बांके बिहारी मंदिर का खजाना, उच्च स्तरीय देखरेख में पूरा हुआ कार्य
Banke Bihari Temple : मथुरा के बांके बिहारी मंदिर का पवित्र कोषागार 54 वर्षों बाद पुनः धनतेरस के अवसर पर खोला गया. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और उच्च स्तरीय समिति की निगरानी में सुरक्षा व्यवस्था के साथ यह ऐतिहासिक कार्य सम्पन्न हुआ. यह अवसर धार्मिक परंपरा और न्यायिक नियंत्रण का संयोजन है. धनतेरस को समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व माना जाता है, जो दिवाली उत्सव की शुभ शुरुआत करता है.

Banke Bihari Temple : उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के पवित्र कोषागार का पुनः उद्घाटन शनिवार, 18 अक्टूबर को हुआ. यह ऐतिहासिक क्षण मंदिर के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा. इस पुनः उद्घाटन का शुभ अवसर धनतेरस पर्व के साथ मेल खाता है, जो समृद्धि और दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है.
न्यायालय के निर्देशन में संपन्न हुआ कार्य
फायर ब्रिगेड और वन विभाग की टीम तैनात
लंबे समय तक बंद पड़े इस कोषागार के संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए फायर ब्रिगेड और वन विभाग की टीमों को तैनात किया गया था. साथ ही, किसी भी आकस्मिक आग की स्थिति से निपटने के लिए विशेष बैकपैक फायर एक्सटिंग्विशर भी मौजूद था, जो ऑक्सीजन की आपूर्ति काटकर आग को बुझाने में सक्षम है.
परंपरा और न्यायिक निगरानी का अद्भुत संगम
मंदिर के देखभालकर्ता घनश्याम गोस्वामी ने पुष्टि की कि कोषागार में चार नामित गोस्वामी, साथ ही न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारी ही प्रवेश कर सके. इस कोषागार का अंतिम उद्घाटन 1971 में हुआ था, जब इसे तत्कालीन मंदिर समिति अध्यक्ष की निगरानी में खोला गया था. यह पुनः उद्घाटन एक दुर्लभ अवसर है, जो धार्मिक परंपरा और न्यायिक नियंत्रण का अनूठा मेल दर्शाता है.
#WATCH | Mathura, UP: Banke Bihari's treasury opened after 54 years on Dhanteras, A.D.M. Mathura, Pankaj Kumar Verma says, "... Treasury doors of the temple to be opened today, all the necessary arrangements have been made, only those authorised will be present inside the… pic.twitter.com/h925AVfOnK
— ANI (@ANI) October 18, 2025
धनतेरस: समृद्धि और स्वास्थ्य का पर्व
पुनः उद्घाटन का समय धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना गया, क्योंकि यह धनतेरस के दिन हुआ. धनतेरस दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का पहला दिन होता है, जब पूरे भारत में भगवान गणेश, देवी महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है. यह दिन धन और समृद्धि की कामना का प्रतीक है.
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि को पूजा जाता है
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, जिन्हें आयुर्वेद के देवता के रूप में पूजा जाता है, की भी विशेष आराधना होती है. वे स्वास्थ्य और चिकित्सा के प्रतीक माने जाते हैं. इस वर्ष धनतेरस आष्वयुज माह की कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि को पड़ा, जो दिवाली उत्सव की एक शुभ शुरुआत का संकेत है.
यह पुनः उद्घाटन न केवल धार्मिक आस्था का जश्न है, बल्कि यह उस विश्वास को भी दर्शाता है कि परंपरा और आधुनिक न्याय व्यवस्था मिलकर मंदिर की सुरक्षा और प्रबंधन में कैसे सहायक हो सकती है. यह घटना मथुरा के धार्मिक इतिहास में एक नई महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में दर्ज होगी.


