महाराष्ट्र मंत्री योगेश कदम का बड़ा बयान, कहा-राज्य में मराठी बोलना अनिवार्य,अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई
एक फूड स्टाल के मालिक पर मराठी ना बोलने पर हमला कर दिया गया था.जिसके बाद महाराष्ट्र के मंत्री योगेश कदम ने इक बयान जारी कर कहा राज्य में मराठी बोलना अनिवार्य,अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी.

Marathi Mandatory : महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री योगेश कदम ने एक बार फिर मराठी भाषा के महत्व को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि महाराष्ट्र में मराठी बोलना अनिवार्य है और इसका अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. यह बयान ठाणे में एक फूड स्टॉल मालिक के साथ मारपीट की घटना के बाद सामने आया है. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस घटना ने महाराष्ट्र में भाषा विवाद को फिर से हवा दे दी है. जहां मराठी अस्मिता और हिंदी के उपयोग को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज हो गई है. योगेश कदम के इस बयान ने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा है, बल्कि विपक्षी दलों को भी सरकार पर हमला बोलने का मौका दिया है.
मराठी है अनिवार्य
महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री योगेश कदम ने ठाणे में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "महाराष्ट्र में आपको मराठी बोलनी ही पड़ती है. अगर आपको मराठी नहीं आती है. तो आपका रवैया यह नहीं होना चाहिए कि आप मराठी नहीं बोलेंगे." उन्होंने आगे चेतावनी दी कि, "अगर कोई महाराष्ट्र में मराठी का अपमान करता है. तो हम अपने कानून लागू करेंगे."
ठाणे की घटना ने भड़काया विवाद
ठाणे में एक फूड स्टॉल मालिक के साथ मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद जिसमें कुछ लोग दुकानदार को मराठी न बोलने के लिए कथित तौर पर पीटते नजर आए. इस घटना के बाद, कश्मीरी पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की और मामले की जांच शुरू कर दी है. इस घटना ने मराठी भाषा के उपयोग को लेकर चल रही बहस को और तीखा कर दिया है.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आगे की राह
इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने योगेश कदम और महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए कुछ नेताओं का कहना है कि सरकार मराठी के नाम पर हिंसा को बढ़ावा दे रही है. जबकि अन्य ने इसे आगामी बीएमसी चुनावों से जोड़कर राजनीतिक ड्रामा करार दिया है. दूसरी ओर, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस ने हिंदी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की वकालत की है. जिससे यह विवाद और जटिल हो गया है.


