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पंजाब में तीसरे लाइसेंसी हथियार पर शिकंजा, जमा न करवाने पर रद्द होगा लाइसेंस

पंजाब सरकार ने लाइसेंसी असलाधारकों को आदेश दिया है कि वे अपना तीसरा हथियार तुरंत जमा करें. नियम के अनुसार केवल दो हथियार रखने की अनुमति है. आदेश का उल्लंघन करने पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है. देहाती क्षेत्रों में अब भी सैकड़ों लोग नियम की अनदेखी कर रहे हैं.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

पंजाब में सरकार ने वर्ष 2019 में एक अहम आदेश जारी करते हुए सभी लाइसेंसी असलाधारकों को यह निर्देश दिए थे कि वे केवल दो हथियार ही अपने पास रख सकते हैं. नए नियम के अनुसार एक हैंडगन (जैसे रिवॉल्वर या पिस्टल) और एक राइफल या 12 बोर बंदूक की ही इजाजत है. बावजूद इसके, खासकर देहाती इलाकों में सैकड़ों असलाधारकों ने अभी तक अपना तीसरा हथियार न तो जमा करवाया है और न ही बेचा है, जिससे न केवल कानून का उल्लंघन हो रहा है बल्कि इसके दुरुपयोग की आशंका भी बनी हुई है.

इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए एडीसी (ज) रोहित गुप्ता ने सभी लाइसेंसी हथियारधारकों को आदेश दिया है कि वे तुरंत अपना तीसरा हथियार जमा करवाएं. जिला पुलिस प्रमुख और देहाती इलाकों के सभी थाना प्रभारियों को भी एडीसी कार्यालय द्वारा निर्देश जारी कर दिए गए हैं. साथ ही चेतावनी दी गई है कि जो भी व्यक्ति आदेश का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उसका असला लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है.

शहरों में 100% अनुपालन

इस मामले में पुलिस कमिश्नर कार्यालय का रवैया सख्त रहा है और शहरों में लाइसेंसी हथियारधारकों ने आदेश का पालन करते हुए अपने तीसरे हथियार जमा करवा दिए हैं. डीसीपी कार्यालय की असला ब्रांच ने उन सभी लोगों की सूची तैयार की थी, जिनके पास तीन हथियार थे. सूची को थाना प्रभारियों को सौंपा गया और उन्होंने रसीदों के साथ पुष्टि की कि हथियार जमा हो गए हैं या बेचे जा चुके हैं.

जिले में दो अलग-अलग व्यवस्था

जिले में असला लाइसेंस जारी करने को लेकर दो तरह की प्रक्रिया अपनाई जाती है. ग्रामीण इलाकों में डीसी कार्यालय फाइनल अथॉरिटी होता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में पुलिस कमिश्नर कार्यालय यह जिम्मेदारी निभाता है. डीसी कार्यालय में आवेदन करने पर 11 हजार रुपये रेड क्रॉस फीस देनी होती है, जबकि पुलिस कमिश्नर कार्यालय में ऐसा कोई शुल्क नहीं लिया जाता.

फायरिंग रेंज की कमी एक गंभीर मुद्दा

हैरानी की बात यह है कि सरकार की ओर से असलाधारकों को फायरिंग प्रैक्टिस के लिए कोई रेंज उपलब्ध नहीं करवाई गई है. जिससे निशानेबाजी का अभ्यास न होने के कारण कई बार हादसे हो जाते हैं. अधिकारियों का मानना है कि अगर फायरिंग रेंज और प्रशिक्षक मुहैया कराए जाएं, तो आम नागरिकों को ट्रेनिंग मिल सकती है और आपातकालीन स्थितियों में भी सहयोग किया जा सकता है.

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07 July 2025, 01:43 PM IST

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