राज ठाकरे का बड़ा बयान, 'आने वाले BMC चुनाव मराठी मानुस के लिए आखिरी...'
राज ठाकरे ने आगामी मुंबई महानगरपालिका चुनावों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यदि मराठी मतदाता इस बार सतर्क नहीं रहे तो आने वाले चुनाव मराठी मानुस के लिए आखिरी हो सकते हैं.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने आगामी मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों को लेकर बड़ा और गंभीर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यदि मराठी मतदाता इस बार सतर्क नहीं रहे तो आने वाले चुनाव मराठी मानुस के लिए आखिरी हो सकते हैं और मुंबई उनके हाथ से निकल सकती है.
राज ठाकरे ने समर्थकों से क्या कहा?
राज ठाकरे ने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले बीएमसी चुनाव मराठी मानुस के लिए निर्णायक होंगे. यदि हमने लापरवाही दिखाई, तो मुंबई को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि जागरूक रहें और किसी भी स्थिति में ढिलाई न बरतें.
उन्होंने आगे कहा कि अगले कुछ दिनों में चुनावी भाषण और प्रचार तेज हो जाएंगे, लेकिन अभी सबसे जरूरी है कि मराठी वोटर अपने आसपास नजर बनाए रखें. उन्होंने कहा कि यह समय बेहद नाजुक है. राजनीति तेजी से बदल रही है. मतदाता सूची पर नजर रखें और देखें कि वोटर असली हैं या बाहर से लाए गए नकली लोग. सावधानी बेहद ज़रूरी है.
राज ठाकरे ने यह भी कहा कि अगर मुंबई हाथ से निकल गई, तो हालात बेकाबू हो जाएंगे और शहर का स्वरूप बदल सकता है. उन्होंने मराठी समुदाय से एकजुट रहने और चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की.
जनवरी तक हो सकते हैं BMC चुनाव
महाराष्ट्र में 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों में 2 दिसंबर को मतदान होना है, जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. इसके बाद मुंबई, पुणे, ठाणे जैसे बड़े शहरों के नगर निगम चुनाव जनवरी तक कराए जाने की संभावना जताई जा रही है. हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी अपेक्षित है.
ये स्थानीय निकाय चुनाव लंबे समय से लंबित हैं और महाराष्ट्र की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि सभी चुनाव 31 जनवरी 2026 तक हर हाल में संपन्न कराए जाएं. अनुमान है कि तीन चरणों में पूरे राज्य के कुल 685 स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएंगे.
राज ठाकरे के इस बयान ने राज्य की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है. बीएमसी चुनाव न केवल मुंबई की राजनीति का केंद्र होते हैं, बल्कि राज्यस्तर पर भी इनका बड़ा असर माना जाता है. ऐसे में उनका यह चेतावनी भरा संदेश मराठी वोटबैंक को एकजुट करने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है.


