score Card

मंदिर की आस्था का धन बैंक की बीमारी नहीं! सुप्रीम कोर्ट का आदेश साफ, भगवान की अमानत सिर्फ भगवान के काम में लगेगी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर का पैसा सिर्फ मंदिर के काम में लगे. किसी भी सहकारी बैंक की खराब हालत को बचाने के लिए यह पैसा इस्तेमाल नहीं होगा. बैंक खुद अपनी जिम्मेदारी उठाएँ.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मंदिर के भगवान का पैसा किसी बैंक की हालत सुधारने के लिए नहीं होता. मंदिर में जनता श्रृद्धा से पैसा चढ़ाती है. यह पैसा सिर्फ मंदिर के काम में ही लगेगा. अदालत ने कहा कि मंदिर पैसा बैंक के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. जो बैंक जनता को भरोसा नहीं दे सकता वह मंदिर के पैसे के लायक नहीं. कोर्ट ने बैंकों पर सवाल उठाए कि आपकी जिम्मेदारी क्या है. जनता से भरोसा जीतना आपका काम है, मंदिर का नहीं.

क्यों लौटा कर दो मंदिर का जमा पैसा?

यह मामला केरल के एक मंदिर से जुड़ा है. मंदिर ने अपना पैसा कुछ सहकारी बैंकों में जमा कराया था. जब पैसा वापस मांगने की बारी आई तो बैंकों ने बात टालनी शुरू की. बार बार बहाने बनाए गए. मंदिर ने अदालत में शिकायत दी. हाई कोर्ट ने बैंकों को पैसा चुकाने का आदेश दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि आदेश बिल्कुल सही है.

हाई कोर्ट के आदेश पर बैंकों की दिक्कत क्या थी?

बैंकों ने कहा कि अचानक इतना पैसा लौटाना मुश्किल है. हमारी हालत खराब हो जाएगी. कोर्ट ने कहा कि यह आपकी अपनी समस्या है. अगर आप समय पर जमा नहीं लौटा सकते तो कैसे भरोसा मिलेगा. आप जनता से पैसा लेते हो तो फिर लौटाना आपकी जिम्मेदारी है. मंदिर की गलती नहीं. बैंकों की यह दलील अदालत ने बिलकुल नहीं मानी.

 मंदिर के पैसे का सही जगह इस्तेमाल क्यों जरूरी?

अदालत ने कहा कि मंदिर का धन भगवान की संपत्ति है. यह किसी के निजी लाभ या बैंक की कमाई का जरिया नहीं बन सकता. मंदिर के पैसे को सुरक्षित जगह रखा जाना चाहिए. कोई संकटग्रस्त बैंक नहीं, एक मजबूत राष्ट्रीयकृत बैंक बेहतर है. वहाँ पैसा भी सुरक्षित रहेगा और अच्छा ब्याज भी मिलेगा. अदालत ने इस बात पर बहुत जोर दिया.

कोर्ट के फैसले का असली मतलब क्या है?

अब मंदिरों और धार्मिक संस्थाओं को ज्यादा सावधान रहना होगा. उनका पैसा जनता की आस्था से आता है. इसलिए हर जमा को समझदारी से रखना जरूरी है. सहकारी बैंक अगर भरोसेमंद नहीं हैं तो उनकी जिम्मेदारी है कि वो खुद में सुधार करें. मंदिर को जोखिम नहीं उठाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का मतलब साफ है कि आस्था का पैसा सुरक्षित रहे.

क्या हर मंदिर को नए नियम अपनाने होंगे?

इस फैसले के बाद देश के सभी देवस्थान इसपर सोचेंगे. पैसा कहाँ जमा हो, किस बैंक में रखा जाए. कौन बैंक भरोसेमंद है, कौन नहीं. यह फैसला सिर्फ एक मंदिर का नहीं है. पूरे देश में धार्मिक पैसे की सुरक्षा का सवाल उठ गया है. बैंक को यह समझना होगा कि मंदिर का पैसा उनकी कमाई नहीं है. वह जनता के भगवान की अमानत है.

भारत में बैंक और मंदिर दोनों कैसे सुरक्षित रहें?

अदालत ने दोनों पक्षों को जिम्मेदारी समझाई. बैंक को भरोसा बनाना होगा. मंदिर को सही जगह पैसा रखना होगा. सरकार को भी नजर रखनी होगी कि बैंक जनता को धोखा न दें. यह फैसला देश में धर्म और पैसे दोनों की सुरक्षा के लिए अहम है. अब कोई भी बैंक मंदिर के पैसे को अपनी मुश्किल दूर करने में इस्तेमाल नहीं कर पाएगा. अदालत ने यह साफ कर दिया है.

calender
05 December 2025, 06:10 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag