तेजस्वी ने PM को लिखा खुला पत्र – कहा 'जाति जनगणना बदल देगी देश की तस्वीर'

तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री को खुला पत्र भेजकर देश में पहली बार होने वाली जाति जनगणना को 'परिवर्तनकारी' करारा बुलाया, वहीं BJP ने पहले बिहार सर्वे पर मानहानि का आरोप लगाकर सवाल खड़े किए. अब सबकी नजरें इस डेटा पर हैं—क्या इससे सच में सामाजिक समानता आएगी या फिर राजनीतिक खेल तेज हो जाएगा?

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Edited By: Aprajita

Caste Census In Bihar: 30 अप्रैल को मोदी कैबिनेट ने देश में पहली बार जाति जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला किया. इस खबर ने जैसे ही सेंसर बोर्ड में जगह बनाई, राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. कौन किसका श्रेय लेगा, कौन विरोध करेगा और आंकड़ों का इस्तेमाल आखिर कैसे होगा—सबकी निगाहें इस एक्शन पर टिक गईं.

तेजस्वी का ओपन लेटर: 'यह बदलाव हो सकता है संविधान का तकिया बदले'

बीते शुक्रवार राजद सांसद एवं बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री मोदी को एक खुला पत्र लिखा. उसमें उन्होंने लिखा:

'प्रधानमंत्री जी, आपके प्रशासन ने जब जाति जनगणना का निर्णय लिया है, वह हमारे देश को सामाजिक समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ पर ले जा सकता है.'

तेजस्वी ने याद दिलाया कि जब बिहार में उन्होंने खुद जाति सर्वे कराया था, तब आपकी पार्टी ने उस पर विरोध किया. उन्हें उम्मीद है कि अब पूरे देश में ये सर्वे सामाजिक न्याय के नए दरवाजे खोलेगा.

बिहार सर्वे से मिले चौंकाने वाले आंकड़े

तेजस्वी ने अपने पत्र में बिहार का जाति सर्वेक्षण उदाहरण के रूप में पेश किया:

  • सर्वे में पता चला कि OBC+EBC मिलकर 63% आबादी बनाए रखते हैं.
  • इसी पैटर्न के साथ देश की जनगणना भी समाज की असल तस्वीर सामने ला सकती है.

उनका सवाल था कि जब डेटा आ जाएगा, तो क्या उसका इस्तेमाल न्यायसंगत सुधारों के लिए होगा, या फिर पुरानी आयोग रिपोर्ट की तरह धूल से भरे अभिलेखागार में कैद रह जाएगा?

राजनीति की पहली लकीर—श्रेय लेने की होड़

जाति जनगणना के फैसले के साथ ही सभी दलों में श्रेय लेने की होड़ मची:

  • भाजपा कह रही है कि ये उनकी दूरदर्शिता की वजह से हुआ.
  • कांग्रेस और रजद आपस में ज़िम्मेदारी टालते दिख रहे हैं—किसका चक्कर ज्यादा पुराना है.

तेजस्वी ने हालांकि लालू यादव को इसका पहला श्रेय देते हुए कहा कि बिहार ने बिना किसी बखेड़े के जाति सर्वे कराया था.

सियासी टेंशन बढ़ेगी या दूर होगी दूरियां?

अब सवाल ये है कि इस जनगणना से:

  1. राजनीतिक लड़ाई तेज होगी या फिर
  2. सामाजिक एकता की राह आसान होगी?

तेजस्वी के ओपन लेटर ने साफ़ संकेत दे दिया है कि बिहार में जो हुआ, उसका नेशनल लेवल पर असर राजनीतिक खाई को और गहरा कर सकता है—या फिर, दोनों समुदायों के बीच विश्वास की एक नई इमारत खड़ी हो सकेगी.

यह कदम सिर्फ शुरुआत है. अब देखने की बात यह होगी कि डेटा कब आएगा, कैसे इस्तेमाल होगा और राजनीति इसे किस दिशा में मोड़ेगी. पढ़ें पूरी खबर और जानें—क्या सच में जाति जनगणना देश को समानता की राह पर आगे ले जाएगी, या रिपोर्टों के ढेर में दबी रह जाएगी?

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03 May 2025, 10:37 AM IST

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