ट्रैफिक जाम और गड्ढों ने ली जान, दर्द से तड़पती रही महिला... NH 48 पर 4 घंटे फंसी रही एंबुलेंस
पालघर की छाया पुरव को गंभीर चोट लगने के बाद मुंबई ले जाया जा रहा था, लेकिन एनएच-48 पर भारी ट्रैफिक जाम में फंसने के कारण उनकी एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच सकी. तीन घंटे में सिर्फ आधा रास्ता तय हुआ. दर्द में तड़पती छाया की मौत रास्ते में हो गई. यह घटना पालघर की कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था और ट्रैफिक अव्यवस्था की गंभीरता को उजागर करती है.

Palghar woman death : महाराष्ट्र के पालघर जिले की एक 49 वर्षीय महिला की उस समय मौत हो गई जब उन्हें गंभीर हालत में मुंबई के अस्पताल ले जाया जा रहा था और रास्ते में एंबुलेंस भारी ट्रैफिक जाम में फंस गई. इस दर्दनाक घटना ने दो बड़ी समस्याओं की ओर ध्यान खींचा है पालघर में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और एनएच-48 हाईवे पर बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था.
पेड़ की डाल गिरने से गंभीर चोट
ट्रैफिक जाम बना मौत की वजह
करीब 3 बजे छाया को एंबुलेंस में मुंबई के लिए रवाना किया गया. लेकिन एनएच-48 पर भीषण ट्रैफिक जाम के चलते एंबुलेंस तीन घंटे में सिर्फ आधा रास्ता ही तय कर पाई. इस दौरान एनेस्थीसिया का असर कम होने लगा और छाया को असहनीय दर्द होने लगा. उन्हें 7 बजे मीरा रोड के ऑर्बिट अस्पताल में भर्ती किया गया, जो हिंदुजा अस्पताल से 30 किलोमीटर पहले था. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
पति की व्यथा, “अगर आधे घंटे पहले पहुंच जाते…”
छाया के पति कौशिक पुरव ने कहा, “मैंने उन्हें चार घंटे तक तड़पते हुए देखा. सड़क पर गड्ढे थे, जिससे उन्हें और ज्यादा दर्द हुआ. वे चिल्ला रही थीं, बार-बार कह रही थीं कि जल्दी अस्पताल ले चलो. लेकिन हम जाम में फंस गए. लोग गलत साइड से गाड़ियाँ चला रहे थे, जिससे जाम और बढ़ गया.” डॉक्टरों ने भी माना कि अगर मरीज को आधे घंटे पहले अस्पताल लाया जाता, तो उनकी जान बच सकती थी.
प्रशासन और सिस्टम पर सवाल
यह घटना सिर्फ एक दर्दनाक हादसा नहीं है, बल्कि पालघर जैसे जिले में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और राष्ट्रीय राजमार्गों पर अनियंत्रित ट्रैफिक की असलियत को उजागर करती है. अगर समय रहते ट्रॉमा सेंटर होता या सड़क व्यवस्था बेहतर होती, तो एक जान बचाई जा सकती थी.


