
राजस्थान के इस गांव में होली पर निभाई जाती है एक अनोखी परंपरा... जिसमें पुरूषों को नहीं दी जाती एंट्री, जानिए क्यों?
राजस्थान के नगर गांव में होली के दिन पुरुषों को घर से बाहर कर दिया जाता है और महिलाओं का दिन होता है. यह परंपरा 500 साल पुरानी है, जहां महिलाएं खुलकर होली खेलती हैं, और जो पुरुष गलती से भी गांव में आ जाते हैं, उन्हें सजा मिलती है! फिर अगले दिन होती है "कोड़ा मार होली", जहां महिलाएं पुरुषों को हल्के कोड़ों से सजा देती हैं. जानिए इस अनोखी परंपरा के पीछे की वजह और गांव में क्या होता है खास!

Rajasthan: हर साल होली का पर्व भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन राजस्थान के टोक जिले के नगर गांव में यह त्योहार कुछ अलग तरीके से मनाया जाता है. यहां की होली परंपरा में पुरुषों को एक दिन के लिए घर से बाहर कर दिया जाता है और महिलाओं का दिन होता है. यह परंपरा करीब 500 साल पुरानी है, जिसे जागीरदारों ने महिलाओं को एक दिन की स्वतंत्रता देने के लिए शुरू किया था. इस अनोखी परंपरा को "कोड़ा मार होली" और "महिलाओं का दिन" के नाम से जाना जाता है.
महिलाओं का दिन, पुरुषों का मेला
नगर गांव में हर साल धुलंडी होली के दिन सुबह 10 बजे तक गांव के सभी पुरुषों को घर से बाहर कर दिया जाता है. इसके बाद महिलाएं और युवतियां पूरे गांव में स्वतंत्र रूप से रंग-गुलाल उड़ा कर होली का आनंद लेती हैं. इस दिन पुरुषों का गांव में प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है. जो कोई पुरुष इस दिन गलती से गांव में आ जाता है, उसे सजा मिलती है. महिलाएं उसे रंग से भरी कड़ाही में डाल देती हैं और फिर उसे पीटकर गांव से बाहर भेज देती हैं. यह परंपरा गांव में हर साल बड़े उत्साह से मनाई जाती है.
क्यों है यह परंपरा?
यह परंपरा करीब 500 साल पुरानी है और इसे शुरू करने का उद्देश्य यह था कि महिलाएं होली के दिन स्वतंत्र रूप से खेल सकें. यह परंपरा उन दिनों के जागीरदारों द्वारा शुरू की गई थी, ताकि महिलाएं पूरे दिन अपने मन से होली खेल सकें. उस वक्त महिलाओं की आज़ादी सीमित होती थी, और इस परंपरा ने उन्हें एक दिन की पूरी स्वतंत्रता दी थी. आज भी यह परंपरा पूरी श्रद्धा और जोश के साथ निभाई जाती है.
कोड़ा मार होली: एक और खास परंपरा
धुलंडी के अगले दिन, नगर गांव में एक और खास परंपरा होती है, जिसे "कोड़ा मार होली" कहा जाता है. इस दिन गांव में महिलाएं बड़े कड़ाहों में रंग भरकर खड़ी हो जाती हैं और जैसे ही पुरुष गांव में लौटते हैं, महिलाएं उन्हें कोड़ों से हल्की मार लगाती हैं. इस परंपरा में महिलाएं अपने मन की पूरी स्वतंत्रता का आनंद लेती हैं और पुरुषों को हल्की सजा देती हैं. यह परंपरा भी बहुत पुरानी है और हर साल बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है.
नगर गांव की अनोखी होली की खुशबू
नगर गांव की होली की इस अनोखी परंपरा का कोई सानी नहीं है. यहां होली का मतलब सिर्फ रंग-गुलाल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी परंपरा है, जो महिलाओं को समाज में अपनी ताकत और स्वतंत्रता का अहसास कराती है. यह परंपरा आज भी लोगों के दिलों में बस चुकी है, और नगर गांव में हर साल लोग इसे पूरी श्रद्धा और खुशी के साथ मनाते हैं. इस अनोखी परंपरा ने होली को केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव का प्रतीक बना दिया है.