इमरान खान-असीम मुनीर में सुलह के संकेत, अदियाला से हटकर अब कोट लखपत जेल पर नजरें
इमरान खान की गिरफ्तारी और जेल में बंद होने के पीछे एक बड़ा कारण पाकिस्तानी सेना के साथ उनका लंबे समय से चला आ रहा टकराव भी माना जाता है. यह मतभेद जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल में शुरू हुए थे.

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान इस समय अदियाला जेल में बंद हैं. उनके खिलाफ देशद्रोह, भ्रष्टाचार और गोपनीय जानकारी लीक करने समेत करीब सौ मुकदमे दर्ज बताए जाते हैं. इमरान खान की गिरफ्तारी और जेल में बंद होने के पीछे एक बड़ा कारण पाकिस्तानी सेना के साथ उनका लंबे समय से चला आ रहा टकराव भी माना जाता है.
मतभेद कब शुरू हुए?
यह मतभेद जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल में शुरू हुए थे और मौजूदा सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के दौर में भी बने रहे. हालांकि अब संकेत मिल रहे हैं कि सेना और पीटीआई के बीच तनाव कम करने की कोशिशें तेज हो रही हैं. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पीटीआई के कुछ पूर्व नेता पर्दे के पीछे सुलह की पहल में जुटे हुए हैं. इनमें फवाद चौधरी, इमरान इस्माइल और महमूद मौलवी शामिल बताए जा रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इन नेताओं का एक समूह देश में राजनीतिक तनाव को कम करने के उद्देश्य से खास तौर पर सेना और पीटीआई के बीच बातचीत का रास्ता खोलने की कोशिश कर रहा है.
यह पहल ‘राष्ट्रीय संवाद समिति’ के मंच से आगे बढ़ाई जा रही है, जिसमें कई प्रभावशाली प्रवासी पाकिस्तानी भी शामिल है. कहा जा रहा है कि यह समूह सैन्य अधिकारियों और मौजूदा सरकारी मंत्रियों से संपर्क कर पीटीआई के लिए राहत की गुंजाइश तलाश रहा है.
इस पहल में एक अहम बदलाव यह है कि ध्यान अब अदियाला जेल की बजाय लाहौर स्थित कोट लखपत जेल पर केंद्रित किया गया है. यहां पीटीआई के कई वरिष्ठ नेता जैसे शाह महमूद कुरैशी, मियां महमूदुर राशिद, एजाज चौधरी, उमर चीमा और डॉ. यास्मीन राशिद कैद हैं. इन नेताओं ने सार्वजनिक रूप से संवाद और बातचीत का समर्थन किया है और इसे राजनीतिक गतिरोध से निकलने का व्यावहारिक रास्ता बताया है. हालांकि, इमरान खान ने पहले इन सुझावों को खारिज करते हुए कहा था कि सड़क पर विरोध प्रदर्शन ही उनका एकमात्र विकल्प है.
सेना व पीटीआई के बीच जारी टकराव
सूत्रों के अनुसार, इस समूह की रणनीति पहले कोट लखपत जेल में बंद नेताओं की रिहाई सुनिश्चित करने की है. इसके बाद पार्टी में ऐसे नेतृत्व को आगे लाने की योजना है, जो मौजूदा हालात को अधिक यथार्थवादी नजरिए से समझ सके और नरम रुख अपनाने को तैयार हो. फवाद चौधरी ने भी पुष्टि की है कि राष्ट्रीय संवाद समिति का गठन वास्तव में राजनीतिक माहौल को सामान्य बनाने और सेना व पीटीआई के बीच जारी टकराव को खत्म करने के मकसद से किया गया है.
उन्होंने बताया कि यह पहल कई हफ्तों से चल रही है. हालांकि अदियाला जेल से किए गए एक ट्वीट के बाद इसे झटका लगा. चौधरी के मुताबिक, समिति के सदस्य कोट लखपत जेल में बंद नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं और कई प्रभावशाली प्रवासी पाकिस्तानी इस प्रयास में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. उनका कहना है कि यदि यह सुलह प्रक्रिया सफल होती है, तो प्रवासी पाकिस्तानी देश में करीब एक अरब डॉलर तक का निवेश करने को तैयार हैं, जिससे पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को भी राहत मिल सकती है.


