पंजाब में मनी लॉन्ड्रिंग जांच में ED का बड़ा कदम, 3500 करोड़ की संपत्तियां जब्त
गुरुवार को ED ने लुधियाना में स्थित 169 अचल संपत्तियों को जब्त किया, जिनकी कुल मूल्य 3436.56 करोड़ रुपये आंकी गई है.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पंजाब में PACL से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बड़ी कार्रवाई की है. गुरुवार को ED ने लुधियाना में स्थित 169 अचल संपत्तियों को जब्त किया, जिनकी कुल मूल्य 3436.56 करोड़ रुपये आंकी गई है. एजेंसी ने बताया कि जांच में यह सामने आया कि लाखों निवेशकों से जुटाए गए फंड का एक हिस्सा PACL के नाम पर इन संपत्तियों की खरीद में इस्तेमाल किया गया था.
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत संपत्तियां जब्त
प्रवर्तन निदेशालय के दिल्ली जोनल ऑफिस ने इन संपत्तियों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत जब्त किया है. यह कार्रवाई सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) द्वारा दर्ज की गई FIR के आधार पर की गई है. FIR में PACL लिमिटेड, PGF लिमिटेड, दिवंगत निर्मल सिंह भंगू और अन्य पर भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 120-B और 420 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
मामले का मूल मुद्दा PACL द्वारा चलाई गई धोखाधड़ी वाली पोंजी स्कीम और सामूहिक निवेश योजनाएं हैं. इन योजनाओं के जरिए PACL और उसकी सहयोगी कंपनियों ने निवेशकों को धोखा देकर लगभग 48,000 करोड़ रुपये जुटाए और उनका गबन किया. एजेंसी की जांच के अनुसार, इन फंडों में से कुछ का इस्तेमाल लुधियाना और अन्य स्थानों में संपत्तियों की खरीद में किया गया.
इस मामले में ED ने अब तक कुल 5,602 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियों को जब्त किया है. इसमें देशभर में स्थित पर्ल ग्रुप की घरेलू संपत्तियां और विदेशी संपत्तियां दोनों शामिल हैं. इसके अलावा, ED ने इस मामले में एक अभियोजन शिकायत (Prosecution Complaint) और दो पूरक अभियोजन शिकायतें भी दायर की हैं.
बड़े पैमाने पर हुआ PACL घोटाला
PACL घोटाला न केवल वित्तीय तौर पर बड़े पैमाने पर हुआ, बल्कि इससे सामान्य निवेशकों को भारी नुकसान भी हुआ. लाखों लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई इन योजनाओं में लगाई थी, लेकिन धोखाधड़ी के कारण उन्हें बड़ा आर्थिक संकट झेलना पड़ा. ED की यह कार्रवाई निवेशकों के फंड की सुरक्षा और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने की दिशा में अहम कदम मानी जा रही है.
विशेषज्ञों का मानना है कि PACL मामले जैसी जांच और संपत्ति जब्ती से धोखाधड़ी रोकने में मदद मिलेगी और भविष्य में निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी. ED लगातार मामले की गहन जांच कर रही है और आने वाले समय में और भी संपत्तियों और फंड्स की जब्ती की संभावना है. इस कार्रवाई से यह संदेश भी जाता है कि वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे.


