महाराष्ट्र में बिक रहा 2-4 रुपये किलो प्याज! प्याज पर मंडी से लेकर सदन तक सियासत

महाराष्ट्र में बिक रहा 2-4 रुपये किलो प्याज! प्याज पर मंडी से लेकर सदन तक सियासत

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

दुनिया भर में प्याज की कीमतें रूल रही हैं। तुर्किए, खजाखस्तान और फिलीपींस में प्याज खरीदना लोगों के बूते से बाहर हो गया है। इन तीन जगहों पर प्याज सोने से भी महंगा हो चुका है। यहां तक कि फिलीपींस में प्याज की तस्करी तक हो रही है। अब जब दुनिया के एक कोने में प्याज लोगों को नसीब नहीं हो पा रहा है तो वहीं भारत के कुछ हिस्सों में प्याज की सही कीमतें नहीं मिल पाने की चलते उन्हें नष्ट किया जा रहा है। गुजरात और महाराष्ट्र के प्याज किसान सही कीमतें नहीं मिलने के चलते चिंता में हैं। बात महाराष्ट्र की करें तो यहां का नासिक प्याज के उत्पादन के लिए जाना जाता है। इस साल राज्य में प्याज को लेकर सियासत हो रही है। किसान प्याज के उचित दाम न मिलने से नाराज हैं। प्याज की कीमतों को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। सड़कों पर प्याज फेंके जाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा में भी ये मुद्दा उछाला गया है।

महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार को एनसीपी नेता सिर पर प्याज की टोकरी लेकर पहुंचे। नेताओं के सिर पर टोकरी थी, जिसमें प्याज भरा था। एनसीपी विधाकों ने प्याज के साथ प्रदर्शन किया और किसानों को प्याज के उचित मूल्य दिए जाने की मांग की। महाराष्ट्र के लासलगांव कृषि उत्पाद बाजार समिति में प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट से नाराज किसानों ने सोमवार को प्याज की नीलामी रोक दी। लासलगांव की ये मंडी एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है। प्याज की प्रति किलो कीमत घटकर दो से चार रुपये प्रति किलो रह गई है, जिससे किसान बेहद नाराज हैं।

प्याज किसानों का कहना है कि सरकार को तुरंत 1500 रुपये प्रति क्विंटल प्याज का अनुदान घोषित करना चाहिए। उन्होंने सरकार से उनके प्याज की उपज को 15 रुपये से 20 रुपये प्रति किलोग्राम पर खरीदने की मांग की। किसानों ने कहा कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे नासिक जिले के लासलगांव एपीएमसी में नीलामी फिर से शुरू नहीं होने देंगे।

वहीं महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष और विधायक नाना पटोले ने कहा है कि सरकार से किसानों के सवालों का जवाब मांगा जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्‍य में किसानों की हालत बहुत खराब है और कपास, धान, अरहर, मक्का, प्याज और सोयाबीन उत्‍पादक किसानों बर्बाद हो गए हैं। कृषि उपज का मूल्य नहीं मिलने से किसान आर्थिक संकट में हैं। किसानों को प्याज सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है।

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