गुड़गांव के कर्मचारी को सज़ा के तौर पर सीढ़ियां चढ़ने पर किया गया मजबूर, सीईओ ने दी प्रतिक्रिया
हाइक एजुकेशन के सीईओ राहुल शर्मा ने पूर्व कर्मचारी पीयूष कुमार द्वारा लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि ये आरोप उनके अनुचित व्यवहार की शिकायतें सामने आने के बाद की गई एक जबरन वसूली की कोशिश हैं.

गुड़गांव स्थित एडटेक प्लेटफॉर्म हाइक एजुकेशन के एक पूर्व कर्मचारी ने शुक्रवार को लिंक्डइन पर एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उसे बिक्री लक्ष्य न पूरा करने पर शारीरिक सजा दी गई थी. 24 वर्षीय पीयूष कुमार ने अपनी पोस्ट में बताया कि उसे सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए मजबूर किया गया, जबकि उसकी सजा को लेकर कंपनी की मैनेजर, रुचि पाराशर, पर मानसिक उत्पीड़न, मानहानि और पेशेवर अपमान के आरोप लगाए. कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले महीने उसने मानसिक उत्पीड़न से परेशान होकर हाइक एजुकेशन से इस्तीफा दे दिया था और एक वीडियो भी साझा किया जिसमें वह अपने कान पकड़कर सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ दिखाई दे रहा था.
सीईओ ने किया खंडन
हालांकि, हाइक एजुकेशन के सीईओ राहुल शर्मा ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कुमार ने 3.6 लाख रुपये की वसूली की कोशिश की थी, जिसे असफल होने के बाद उसने बदनाम करने की कोशिश की. राहुल शर्मा, जो कि रुचि पाराशर के पति भी हैं उन्होंने यह भी दावा किया कि कुमार के झूठे दावों के कारण उन्हें धमकियाँ मिल रही हैं. उन्होंने यह भी बताया कि वीडियो को किसी सजा के रूप में नहीं बल्कि एक मजेदार टीम एक्टिविटी के रूप में लिया गया था और इसमें कुमार ने खुद भाग लिया था.
पीयूष कुमार ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में बताया कि हाइक एजुकेशन की मैनेजर रुचि पाराशर ने उन पर हर दिन एक निश्चित संख्या में एडमिशन देने का दबाव डाला. एक दिन, उन्होंने एक नोट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया, जिसमें यह लिखा था कि अगर वह लक्ष्य पूरा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें सजा के रूप में सीढ़ियों के 50 चक्कर लगाने होंगे. कुमार ने कहा कि दुर्भाग्यवश, मैं उस दिन लक्ष्य पूरा नहीं कर सका. ईमानदारी से माफी मांगने के बावजूद, मुझे अपने कान पकड़ने पड़े और बार-बार सीढ़ियों पर कई चक्कर लगाने पड़े, वह भी दूसरे सहकर्मियों के सामने.
6 अप्रैल दिया था इस्तीफा
कुमार ने यह भी बताया कि 4 अप्रैल को यह घटना घटी थी और 6 अप्रैल को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने अपने इस्तीफे की एक प्रति भी साझा की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि पाराशर के व्यवहार ने एक शत्रुतापूर्ण कार्य वातावरण उत्पन्न किया और कंपनी के मानव संसाधन विभाग से इसकी जांच करने का आग्रह किया.
हाइक एजुकेशन के सीईओ राहुल शर्मा ने इन आरोपों को गलत बताया. उन्होंने कहा कि वीडियो, जिसमें कुमार को अपने कान पकड़ते हुए दिखाया गया, एक मजेदार टीम गतिविधि का हिस्सा था. इस दौरान कुमार ने कोई असुविधा नहीं महसूस की. शर्मा ने आरोप लगाया कि कुमार ने अपनी वसूली की असफल कोशिश के बाद बदनाम करने का प्रयास किया.
शर्मा ने आरोपों को बताया झूठा
शर्मा ने कहा कि कुमार के आरोप झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं. वीडियो स्वैच्छिक और अनौपचारिक टीम एक्टिविटी का हिस्सा था, जिसमें कुमार ने खुशी से भाग लिया. उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी ने एक महिला कर्मचारी द्वारा की गई शिकायतों के आधार पर कुमार के खिलाफ उचित कार्रवाई की थी और कुमार ने कदाचार स्वीकार किया था.
इसके अलावा, राहुल शर्मा ने बताया कि हाइक एजुकेशन ने कई महिला कर्मचारियों से प्राप्त शिकायतों के बाद कुमार के खिलाफ POSH (यौन उत्पीड़न की रोकथाम) नीति के तहत कार्रवाई की थी. उन्होंने कहा कि कंपनी ने पहले मामले को हल करने के लिए आंतरिक समाधान तंत्र का उपयोग किया और फिर भी कुमार ने बाद में इस पूरे मामले को सार्वजनिक किया.
कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश
सीईओ ने यह भी कहा कि कुमार के लिंक्डइन पर किए गए पोस्ट के बाद उनकी पत्नी, रुचि पाराशर को धमकियाँ और यौन उत्पीड़न के संदेश मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस स्थिति ने उनकी पत्नी की सुरक्षा और मानसिक स्थिति के बारे में गंभीर चिंता उत्पन्न की है. उन्होंने इसे एक जानबूझकर बदनाम करने का प्रयास बताते हुए कहा कि कुमार ने कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है.
राहुल शर्मा ने यह भी कहा कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जा रही है और जो कोई भी इन आरोपों को बढ़ावा देगा, उसे कानून के तहत जिम्मेदार ठहराया जाएगा. उन्होंने मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से अनुरोध किया कि वे इन आरोपों की सत्यता की पुष्टि करने से पहले एकतरफा बयानबाजी से बचें.
बचाव में कई तर्क
इस घटना ने हाइक एजुकेशन और उसके कर्मचारियों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है और अब मामला कानूनी दायरे में भी प्रवेश कर चुका है. कंपनी ने अपने बचाव में कई तर्क प्रस्तुत किए हैं, जबकि पीयूष कुमार ने अपनी अपमानजनक घटना को सार्वजनिक किया है. अब यह देखना होगा कि न्यायपालिका इस मामले में क्या कदम उठाती है और इस विवाद का समाधान कैसे निकाला जाता है.


