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समुद्रयान के लिए बजट में 600 करोड़ रुपये आवंटित

समुद्र की गहराई का पता लगाने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए पनडुब्बी समुद्रयान में वैज्ञानिकों को भेजने के भारत के महत्वाकांक्षी मिशन को केंद्रीय बजट 2025-26 में ‘गहरे महासागर अभियान’ (डीप ओशन मिशन) के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने से बढ़ावा मिला है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

समुद्र की गहराई का पता लगाने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए पनडुब्बी समुद्रयान में वैज्ञानिकों को भेजने के भारत के महत्वाकांक्षी मिशन को केंद्रीय बजट 2025-26 में ‘गहरे महासागर अभियान’ (डीप ओशन मिशन) के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने से बढ़ावा मिला है.

इस अभियान की जिम्मेदारी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की है जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को पेश केंद्रीय बजट 2025-26 में 3649.81 करोड़ रुपये आवंटित किए गए जबकि उसे चालू वित्त वर्ष के लिए 3064.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.

जैव संसाधनों के सतत उपयोग

समुद्रयान अभियान के तहत गहरे समुद्र तल का पता लगाने तथा 6,000 मीटर तक पानी के भीतर जा सकने वाली मानवयुक्त पनडुब्बी बनाने, गहरे समुद्र में जैव संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र में खनन हेतु खनन प्रणाली तथा अपतटीय ताप ऊर्जा चालित विलवणीकरण संयंत्रों के लिए इंजीनियरिंग डिजाइन विकसित करने जैसी प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाएगा.

पूर्वानुमान की क्षमताओं में सुधार

वित्त मंत्री ने मौसम के पूर्वानुमान की क्षमताओं में सुधार के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की पहल ‘मिशन मौसम’ के लिए 1,329 करोड़ रुपये भी आवंटित किए. भारत की इस साल के अंत में समुद्र में 500 मीटर की गहराई तक एक मानवयुक्त पनडुब्बी भेजने और अगले साल धीरे-धीरे 6,000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल का अन्वेषण करने की योजना है. इस पनडुब्बी को चेन्नई स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) विकसित करेगा. गहरे महासागर अभियान का उद्देश्य गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाना तथा उनके सतत उपयोग के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास करना है.

यह खबर सीधे भाषा सिंडीकेट से उठाई गई है. इसे जनभावना टाइम्स ने संपादित नहीं किया है.

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02 February 2025, 05:13 PM IST

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