'महिला छोटे उम्र के अभिनेता के साथ दिखे तो ‘बोल्ड’ क्यों?', उम्र के अंतर पर कोंकणा सेनशर्मा का बेबाक बयान
कोंकणा सेनशर्मा ने फिल्मों में उम्र के अंतर पर चल रही बहस पर अपनी राय रखी है. उनका कहना है कि ऐसे रिश्तों को ‘बोल्ड’ कहना गलत है, क्योंकि असल जिंदगी में भी अलग उम्र के जोड़े आम हैं.

कोंकणा सेनशर्मा लंबे समय से हिंदी सिनेमा में एक संवेदनशील और भरोसेमंद अभिनेत्री के रूप में अपनी खास पहचान बना चुकी हैं. अभिनय के साथ-साथ निर्देशन में भी उन्होंने अपनी अलग छाप छोड़ी है. इस साल वह फिल्म ‘मेट्रो… इन डिनो’ में नजर आईं, जहां उनकी जोड़ी पंकज त्रिपाठी के साथ देखने को मिली. फिल्म में उनके किरदार की कहानी में एक मोड़ ऐसा भी आता है, जहां वह खुद से कम उम्र के अभिनेता रोहन गुरबक्सानी के साथ रोमांटिक रिश्ते में दिखाई देती हैं. इसी को लेकर हाल के दिनों में उम्र के अंतर और रिश्तों को लेकर होने वाली बहस एक बार फिर चर्चा में आ गई है.
कुछ समय पहले काजोल और ट्विंकल खन्ना के चैट शो में सलमान खान और आमिर खान से एक दिलचस्प सवाल पूछा गया था. सवाल यह था कि जब बड़े उम्र के पुरुष अभिनेता छोटी उम्र की अभिनेत्रियों के साथ रोमांस करते हैं, तो उसे 'सिनेमाई जादू' कहा जाता है, लेकिन जब कोई महिला कलाकार कम उम्र के पुरुष के साथ स्क्रीन पर रिश्ता निभाती है, तो उसे 'बोल्ड' क्यों कहा जाता है? हाल ही में रणवीर सिंह और 20 वर्षीय सारा अर्जुन को फिल्म 'धुरंधर' में कास्ट किए जाने के बाद भी यही चर्चा तेज हो गई. इस पूरे मुद्दे पर कोंकणा सेनशर्मा ने खुलकर अपनी राय रखी है.
कोंकणा का साफ नजरिया
कोंकणा मानती हैं कि इस तरह के रिश्तों को लेकर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है. उनका कहना है, "यह पूरी तरह दर्शकों की सोच पर निर्भर करता है. किसी को यह साहसी लग सकता है, किसी को बिल्कुल सामान्य. मेरे लिए यह कोई खास या चौंकाने वाली बात नहीं है, क्योंकि असल जिंदगी में भी अलग-अलग उम्र के जोड़े देखने को मिलते हैं. हम यह सब मशहूर लोगों के बीच भी देखते हैं और धीरे-धीरे यह सामान्य हो रहा है. ऐसे में इस विषय पर बार-बार चर्चा करने की जरूरत मुझे समझ नहीं आती."
अभिनेत्री का मानना है कि महिलाओं को किसी एक तय सांचे में ढालना गलत है. वे कहती हैं, "महिला होने का कोई एक तरीका नहीं होता. अलग-अलग महिलाएं अलग भूमिकाएं निभाती हैं और अलग तरह से जिंदगी जीती हैं. दुर्गा जैसे किरदार यह दिखाते हैं कि एक महिला कितनी परतों वाली हो सकती है. जब हम इस नजरिए को अपनाते हैं, तभी इंसानी रिश्तों और भावनाओं की गहराई को समझ पाते हैं."
फिल्मों में उम्र का अंतर सिर्फ 'बोल्डनेस' नहीं
कोंकणा ने यह भी साफ किया कि उनकी फिल्मों में उम्र का अंतर किसी सनसनी के लिए नहीं, बल्कि कहानी की जरूरत के तहत दिखाया गया है. उनके मुताबिक, "मेरी दोनों फिल्मों में उम्र के अंतर का एक अलग मकसद था. सिर्फ इसे 'बोल्ड' कह देना मुझे उबाऊ लगता है. मेट्रो… इन डिनो में इसे हल्के-फुल्के और हास्य के अंदाज में दिखाया गया, जिससे पंकज त्रिपाठी के किरदार की उलझन सामने आती है. वहीं, पंकज का किसी और युवा महिला से मिलना कोई बड़ी बात नहीं माना जाता, तो फिर उसे बोल्ड क्यों नहीं कहा जाता?"
कोंकणा ने फिल्म 'डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे' का जिक्र करते हुए कहा कि वहां उनका किरदार एक मुश्किल शादीशुदा जिंदगी से गुजर रहा था. उस कहानी में कम उम्र के पुरुष के साथ उनका रिश्ता दरअसल आत्म-पहचान और खुद को समझने की प्रक्रिया का हिस्सा था. उनके अनुसार, ऐसे रिश्तों को सिर्फ एक नजरिए से देखना सही नहीं है.


