Giloy benefits: शरीर के सुरक्षा कवच को मजबूत करता है गिलोय का काढ़ा, जानिए इसके अन्य फायदे
आयुर्वेद की बात करें गिलोय को प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए सबसे कारगर उपाय बताया गया है।

हमारा शरीर दरअसल एक मशीन की तरह काम करता है। अगर शरीर स्वस्थ है और इसकी ठीक देख रेख होती है तो ये लंबे समय तक स्वस्थ रहता है और जहां शरीर कमजोर हुआ, वहीं तरह तरह की बीमारियां इस पर हमला कर देती हैं। ठीक मशीन की तरह शरीर को भी सर्विस की जरूरत होती है और इसकी सर्विस होती है प्रतिरोधक क्षमता के जरिए। जी हां शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी पावर ही वो सुरक्षा कवच है जो शरीर को बाहरी बीमारियों के अटैक से बचाती है। अगर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाए तो सर्दी जुखाम, बुखार के साथ साथ बाहरी संक्रामक बैक्टीरियां भी शरीर पर हमला बोल देते हैं। इसलिए कोविड काल के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना सबसे जरूरी हो गया है। आयुर्वेद की बात करें गिलोय को प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के लिए सबसे कारगर उपाय बताया गया है। कोविड काल की बात करें तो गिलोय को सरकार की तरफ से भी आयुर्वेदिक नुस्खे में शामिल किया गया था। चलिए जानते हैं कि गिलोय कैसे शरीर को फायदा पहुंचाता है।
आयुर्वेद में गिलोय की बूटी को चमत्कारी बूटी कहा जाता है क्योंकि ये सेहत को बहुत सारा फायदा पहुंचाती है। गिलोय में ढेर सारे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर को बीमार करने वाले फ्री रेडिकल्स का सफाया करते हैं। इसके साथ ही गिलोय में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी सूजन दर्द, को कम करते हैं। इसके एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल गुणों की मदद से शरीर बुखार, पीलिया, अर्थराइटिस, शुगर, कब्ज़, सीने में जलन, इनडाइजेशन और यूरिन संबंधी दिक्कतों से दूर रह पाता है।
कोविड काल में दिखे गिलोय के फायदे -
कोरोना संक्रमण में गिलोय के काफी फायदे देखे गए। इसके एंटी वायरल गुणों की वजह से कोरोना बुखार में राहत मिली वहीं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में गिलोय का काफी योगदान रहा। इसकी वजह से गिलोय का काढ़ा पीने वाले लोगों को कोरोना से दूर रहने और कोरोना का सामना करने में मदद मिली। गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से बुखार के साथ साथ कमजोरी, खांसी जुकाम में भी राहत मिलती है।
गिलोय का काढ़ा शरीर में लिवर की बीमारियों के साथ साथ यूरिन इन्फेक्शन और दिल संबंधी जोखिमों को भी कम करता है।
गिलोय की बात करें तो पाचन तंत्र को काफी मजबूत बना देता है जिससे पाचन संबंधी दिक्कतें जल्दी ठीक हो जाती हैं। इसके सेवन से पाचन संबंधी दिक्कतों जैसे डायरिया, कोलाइटिस, उल्टी-मतली और हाइपरएसिडिटी में काफी आराम होता है। इसके सेवन से मेटा बॉलिज्म तेज होता है जिससे शरीर में बीमारी पैदा करने वाले विषाक्त पदार्थ डिटॉक्सिफाई करने में मदद मिलती है।
गिलोय में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-आर्थराइटिक गुण अर्थराइटिस और गाउट जैसी बीमारियों को कम करने में मदद करते है। गिलोय के सेवन से हड्डियों का दर्द कम होता है और हड्डियों के साथ साथ जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है। इसके लिए रात के वक्त गर्म दूध में आधा चम्मच गिलोय का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से फायदा होगा।
आयुर्वेद में गिलोय को आंखों की रोशनी को सही करने के लिए प्रभावी बताया गया है।
सांस संबंधी बीमारियों में गिलोय काफी प्रभावकारी सिद्ध होता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण श्वासनली की सूजन दूर करते हैं जिससे अस्थमा में काफी आराम मिलता है। इसके साथ ही गिलोय श्वास नली में संक्रमण को भी दूर करता है और श्वास नली के सभी अवरोध दूर करने में मदद करता है। इसकी मदद से फेफड़ों में जमा कफ बाहर निकालने में मदद मिलती है और फेफड़े सही तरह के काम कर पाते हैं।
गिलोय दिमाग को तनाव से मुक्त करता है। इसके सेवन से तनाव, अवसाद और एंक्जाइटी जैसी समस्याओं में आराम मिलता है और दिमाग तेजी से काम करता है।
बरसात के मौसम में मच्छर काटने से होने वाली बीमारियों से सुरक्षा के लिए गिलोय का सेवन काफी मददगार साबित होता है। खासकर डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के मच्छरों के काटने के बाद बुखार आने पर शरीर में प्लेटलेट्स की कमी होती है, इसे दूर करने में गिलोय काफी फायदेमंद साबित होता है। दरअसल मच्छर से होने वाली बीमारियां वायरल हमले में गिनी जाती हैं और इसके लिए गिलोय का रस काफी प्रभावशाली साबित होता है क्योंकि ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है जिससे शरीर वायरल हमले का मुकाबला कर पाने में सक्षम होता है।
कैसे बनाएं गिलोय का काढ़ा-
एक बर्तन में दो से तीन कप पानी को उबलने रख दें। इसमें गिलोय की बूटी डालें और थोड़ी देर उबलने दें। अब इस उबलते पानी में थोड़ी सी दालचीनी, तुलकी के कुछ पत्ते, पुदीने के कुछ पत्ते और आदा चम्मच हल्दी मिलाएं। अब पानी में दो चुटकी गाली मिर्च का चूर्ण और जरा सा अदरक कस कर डाले और दो मिनट उबलने दें। जब ये पानी आधा रह जाए तो गैस बंद करके पानी को छान लें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और रोगी को पिलाएं।


