दिल्ली सरकार ने 2015 से राजस्व अधिशेष बनाए रखा- CAG Report
दिल्ली सरकार ने 2015 से राजस्व अधिशेष बनाए रखा है। मंगलवार को विधानसभा में राज्य के वित्त पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक

दिल्ली सरकार ने 2015 से राजस्व अधिशेष बनाए रखा है। मंगलवार को विधानसभा में राज्य के वित्त पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक ऑडिट रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार का राजस्व अधिशेष 7,499 करोड़ रुपये इस बात का संकेत था कि इसकी प्राप्तियां खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त थीं।
इसमें कहा गया है, “राजस्व अधिशेष 2019-20 में जीएसडीपी का 0.88% था, जबकि 2018-19 में यह 0.81% था।”वर्ष 2019-20 में राजस्व प्राप्तियों का लगभग 79.90 प्रतिशत सरकार के अपने संसाधनों से आया जबकि सहायता अनुदान का योगदान 20.10 प्रतिशत था। राजस्व प्राप्तियों में पिछले वर्ष की तुलना में 4,023 करोड़ रुपये (9.33 प्रतिशत) की वृद्धि हुई।
मार्च 2020 की समाप्त वित्तीय वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली का सब्सिडी पर खर्च 2015-16 के 1,867.6 करोड़ रूपये से 92% बढ़कर 3,592.9 करोड़ रूपये हो गया है। एक बड़ा हिस्सा 47 लाख से अधिक घरेलू बिजली, ग्राहकों को सब्सिडी प्रदान करने में चला गया, जो हर महीने 400 यूनिट तक बिजली का खपत करते हैं।
दिल्ली सरकार पानी की खपत और सार्वजनिक बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा पर भी सब्सिडी देती है। 2019-20 में पिछले वर्ष की तुलना में 41.85% बढ़ा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली सरकार अपने कर्मचारियों की पेंशन देनदारियों के कारण बड़े पैमाने पर राजस्व अधिशेष बनाए रखने में सक्षम है।
मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के लिए राज्य वित्त पर वर्ष 2021 की नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत की गई।


