सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन की मांग को किया खारिज, श्रद्धा और निक्की केस के बाद दायर की गई थी याचिका

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन की मांग को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। श्रद्धा और निक्की मर्डर केस के बाद सुप्रीम कोर्ट में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी।

Lalit Hudda
Lalit Hudda

पिछले कुछ महीनों में लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान लड़कियों की हत्याएं होने के काफी मामले सामने आए है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि लिव-इन संबंधों में रहने वाले कपल का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन की मांग के लिए दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने लिव इन संबंधों के लिए रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बनाने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मांग को अव्यवहारिक बताते हुए खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई इस याचिका में श्रद्धा वालकर और निक्की यादव मर्डर केस का हवाला दिया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि गोपनीय और गलत तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे है। याचिका में मांग की गई थी लिव-इन कपल की सुरक्षा के लिए उनकी जानकारी पुलिस के पास होनी जरूरी है।

जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की वकील ममता रानी की याचिका में मांग की गई थी कि लिव इन में रह रहे लोगों की संख्या की जानकारी के बारे में पता होना चाहिए। कोर्ट इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को निर्देश दे। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह जानकारी तभी हासिल की सकती है जब लिव इन संबंधों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा।

दरअसल, आपने दिल्ली के आफताब का केस तो सुना ही होगा। उसने अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा के 36 टुकड़े कर दिए थे। वो भी लिव-इन संबंधों में रह रहे थे। इसके बाद देश के अलग-अलग शहरों से ऐसी खबरें सामने आई, जहां पर प्रेमी ने अपनी प्रेमिका को जान से मार दिया था। इन हत्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि क्या आप इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं या फिर लोगों को लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रहने देना चाहते हैं? और इस मामले में केंद्र सरकार का क्या रोल है? ऐसी याचिकाओं पर जुर्माना लगाना चाहिए।

वकील ममता रानी ने दायर की थी याचिका

सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका वकील ममता रानी से दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि जिस प्रकार शादी का रजिस्ट्रेशन होता है वैसा ही लिव इन संबंधों का पंजीकरण की अनिवार्य किया जाए। वकील ममता रानी ने इस याचिका में श्रद्धा वालकर, निक्की यादव समेत कई मामलों के उदाहरण भी दिए थे। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर हुई बहस

याचिकाकर्ता और वकील ममता रानी ने मांग थी कि लिव इन संबंधों में रहने वाले कपल का भी रजिस्ट्रेशन कराया जाए। आसान भाषा बताएं तो जैसे आप किराए पर मकान लेते हैं तो एक रेंट एंग्रीमेंट होता है और इसमें पुलिस वेरिफिकेशन की आवश्यकता होती है। उसी तरह एक रजिस्ट्रेशन की मांग की गई थी। ताकि लिव-इन कपल की पूरी जानकारी पुलिस के पास रहे।

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20 March 2023, 02:00 PM IST

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