'एजुकेट गर्ल्स' NGO ने रचा इतिहास, भारत की पहली संस्था जिसने जीता एशिया का नोबेल पुरस्कार
भारत की NGO ‘एजुकेट गर्ल्स’ को 2025 का प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड मिला है, ये सम्मान पाने वाली पहली भारतीय संस्था बनी है. लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने वाली इस संस्था ने अब तक 20 लाख से ज्यादा लड़कियों को लाभान्वित किया है.

Educate Girls NGO: ‘एजुकेट गर्ल्स’ (Educate Girls) को 2025 का प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. ये पहली बार है जब किसी भारतीय संगठन को ये अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला है. अब तक ये अवॉर्ड भारत के कई व्यक्तियों को मिल चुका है, लेकिन किसी संस्था को ये उपलब्धि पहली बार हासिल हुई है.
एशिया का 'नोबेल पुरस्कार' कहे जाने वाला रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड उन व्यक्तियों और संगठनों को दिया जाता है, जिन्होंने समाज के प्रति साहस और निःस्वार्थ सेवा का परिचय दिया हो. इस साल ये सम्मान मालदीव की शाहिना अली और फिलीपींस के फ्लावियानो एंटोनियो एल. विलानुएवा को भी दिया जाएगा.
सांस्कृतिक बंदिशों को तोड़ने का मिशन
रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड फाउंडेशन (RMAF) ने कहा कि एजुकेट गर्ल्स को ये सम्मान इसलिए दिया गया है क्योंकि इन्होंने लड़कियों और युवतियों की शिक्षा के जरिए सामाजिक-सांस्कृतिक रूढ़ियों को चुनौती दी है और उन्हें निरक्षरता से मुक्त कर सशक्त बनाया है. संस्था की ये कोशिश लड़कियों को साहस, कौशल और आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ने का अवसर देती है.
सेफीना हुसैन की पहल से शुरू हुआ सफर
एजुकेट गर्ल्स की स्थापना 2007 में सेफीना हुसैन ने की थी. लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स से पढ़ी हुसैन सैन फ्रांसिस्को से भारत लौटीं और ग्रामीण भारत में लड़कियों की शिक्षा पर काम शुरू किया. शुरुआत राजस्थान से हुई, जहां संस्था ने उन समुदायों पर ध्यान केंद्रित किया जहां लड़कियां स्कूल से दूर थीं. संस्था ने ना केवल उन्हें कक्षा में लाया बल्कि उन्हें पढ़ाई पूरी करने और उच्च शिक्षा तथा रोजगार के अवसर तक पहुंचाने का मार्ग बनाया.
शिक्षा में पहली बार डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड
2015 में एजुकेट गर्ल्स ने शिक्षा क्षेत्र में दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड (DIB) लॉन्च किया. इस मॉडल ने वित्तीय मदद को सीधे परिणामों से जोड़ा. ये पहल 50 गांवों से शुरू होकर 30,000 से ज्यादा गांवों तक पहुंची और अब तक 20 लाख से ज्यादा लड़कियों को इसका लाभ मिला है. संस्था का दावा है कि इसकी रिटेंशन रेट 90% से भी ज्यादा रही है.
‘प्रगति’ कार्यक्रम से नई दिशा
संस्था ने ‘प्रगति’ कार्यक्रम भी शुरू किया, जिसके तहत 15–29 साल की युवतियों को ओपन स्कूलिंग के माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी करने का अवसर मिला. शुरुआत में इसमें सिर्फ 300 छात्राएं जुड़ीं, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर 31,500 से ज्यादा हो चुकी है. रेमन मैगसायसाय अवॉर्ड का 67वां समारोह 7 नवंबर 2025 को मनीला के मेट्रोपॉलिटन थिएटर में आयोजित होगा. इस दौरान विजेताओं को राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की प्रतिमा वाला मेडल, एक प्रशस्ति पत्र और नगद राशि प्रदान की जाएगी.


