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तो क्या दिल्ली-एनसीआर से बाहर जाएंगी 3000 से अधिक कंपनियां? प्रदूषण से निपटने के लिए चीन ने दी ये सलाह

चीन की प्रवक्ता यू जिंग ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए औद्योगिक पुनर्गठन, गैर जरूरी बाजारों का स्थानांतरण और कोयले पर निर्भरता घटाने की सलाह दी, लेकिन दिल्ली में लागू करना चुनौतियों और व्यापक योजना मांगता है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्ली: चीन की प्रवक्ता मैडम यू जिंग ने दिल्ली-एनसीआर के बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए भारतीय प्रशासन और जनता को सलाह दी है कि बीजिंग ने किस तरह अपनी हवा को साफ किया और दिल्ली में भी वही रणनीति अपनाई जा सकती है. हालांकि, उनका सुझाया गया समाधान सरल नहीं है और इसके लिए व्यापक योजना और राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होगी.

औद्योगिक पुनर्गठन की सलाह

यू जिंग ने बीजिंग के अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े बदलाव से वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण कमी आई. उन्होंने सुझाव दिया कि दिल्ली-एनसीआर में भी कुछ भारी उद्योगों को हटाने या स्थानांतरित करने की जरूरत है. बीजिंग में केवल शोगांग नामक स्टील कंपनी को शिफ्ट करने से हवा में ठोस प्रदूषण कणों में 20% कमी आई थी. वहीं, दिल्ली में अकेले एमएसएमई सेक्टर में 2.65 लाख रजिस्टर्ड इकाइयाँ हैं, और एनसीआर क्षेत्र में गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद जैसे मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स हब मौजूद हैं.

खाली जगह का उपयोग

चीनी प्रवक्ता ने सुझाव दिया कि हटाई गई फैक्ट्रियों या उद्योगों की जगह को पार्क, कमर्शियल जोन, कल्चरल और टेक्नोलॉजी हब में बदलना चाहिए. बीजिंग ने शोगांग की जगह पर 2022 विंटर ओलंपिक्स के आयोजन के लिए बड़े बदलाव किए. इसका फायदा यह हुआ कि शहर के केंद्र में गैर जरूरी औद्योगिक गतिविधियां कम हुईं और पर्यावरण बेहतर हुआ.

राजधानी से गैर जरूरी बाजारों का स्थानांतरण

बीजिंग ने अपने उदाहरण में कहा कि थोक बाजार, लॉजिस्टिक्स हब और कुछ एजुकेशनल एवं मेडिकल संस्थानों को दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया. इसके जरिए राजधानी के संसाधनों पर दबाव कम हुआ. इसी तरह, दिल्ली-एनसीआर में भी जो संस्थान और उद्योग आवश्यक नहीं हैं, उन्हें बाहर स्थानांतरित कर शहर के प्रदूषण और यातायात पर दबाव कम किया जा सकता है.

कोयले का उपयोग कम करना

चीनी प्रवक्ता ने कोयले के उपयोग पर विशेष जोर दिया. बीजिंग ने कोयले से हीटिंग और ऊर्जा उत्पादन को घटाया और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों को स्वच्छ ऊर्जा और प्राकृतिक गैस पर शिफ्ट किया. चार बड़े कोयला पावर प्लांट बंद कर दिए गए और छोटे कोयले के बॉयलर को क्लीन, उच्च दक्षता वाले सिस्टम से बदल दिया गया. इसके अलावा, बीजिंग-तियानजिन-हेबेई क्षेत्र में सीमा पार से आने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए कोयले पर पाबंदी लागू की गई और अन्य प्रांतों से क्लीन बिजली आयात की गई. 2025 तक, बीजिंग में कोयले की खपत 21 मिलियन टन से घटकर केवल 600,000 टन रह गई.

क्या है सामने चुनौतियां?

हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में इतने बड़े बदलाव को लागू करना आसान नहीं है. यहां उद्योगों की संख्या बहुत अधिक है और इनके स्थानांतरण या बंद होने से रोजगार और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा, ऊर्जा स्रोतों का बदलाव, क्लीन गैस और इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई नेटवर्क मजबूत करना, और सामाजिक तथा राजनीतिक सहमति बनाना भी आवश्यक होगा.

यू जिंग के सुझाव इस बात को उजागर करते हैं कि प्रदूषण नियंत्रण केवल तकनीकी उपायों से नहीं, बल्कि शहर की योजना, उद्योग नीति और ऊर्जा रणनीति के समग्र दृष्टिकोण से ही संभव है. दिल्ली के लिए चुनौती यह है कि चीन जैसी त्वरित क्रांति संभव नहीं है, लेकिन चरणबद्ध और रणनीतिक बदलाव से हवा की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है.

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19 December 2025, 10:21 AM IST

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