'सितारों के बीच भारत', ISS के Iconic Cupola से शुभांशु शुक्ला ने ली पृथ्वी की अद्भुत तस्वीरें
भारत के पहले गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से वैज्ञानिक प्रयोगों और छात्रों के साथ संवाद द्वारा देश को गौरवान्वित किया. प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में उन्होंने पृथ्वी की एकता की भावना साझा की. उनका मिशन युवा पीढ़ी को विज्ञान और अंतरिक्ष में करियर के लिए प्रेरित कर रहा है.

मुस्कुराते और मुस्कुराते हुए, स्वस्थ और खुश नज़र आ रहे भारत के अपने गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के प्रसिद्ध गुंबद से बाहर देख रहे हैं. भारत के पहले गगनयात्री ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) शुभांशु “शक्स” शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 26 जून को पहुंचे और अपना 14-दिवसीय मिशन शुरू किया. वह एक्सिओम स्पेस की टीम के साथ हैं, जिसमें कमांडर पैगी व्हिटसन और मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ “सुवे” उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की तथा टिबोर कापू शामिल हैं. टीम ने अबतक नौ उत्पादक दिनों में वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रौद्योगिकी परीक्षण व ग्लोबल आउटरीच गतिविधियों में योगदान दिया है.
कोई सीमा नहीं दिखती
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करते हुए ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने महसूस साझा किया कि अंतरिक्ष से देखा तो भारत के विस्तार की सीमाएं गायब रहती हैं और एकता की भावना गहरी होती है. उन्होंने कहा था, “अंतरिक्ष से कोई सीमा नहीं दिखती. पृथ्वी एकजुट दिखती है.” यह बयान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और युवा उत्साह के समर्पण को मजबूत करता है.
वैज्ञानिक प्रयोगों में गंभीर योगदान
श्रोताओं को उत्तर देने के लिए, शुक्ला ने कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए हैं:
मायोजेनेसिस अध्ययन: उन्होंने जांच की कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों में उत्पन्न शोष कैसे होता है. इसका मकसद मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के उपाय विकसित करना.
अंतरिक्ष सूक्ष्म शैवाल प्रयोग: उन्होंने नमूने तैनात किए, जो भोजन, ऑक्सीजन या जैव-ईंधन के स्रोत बन सकते हैं, भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में स्थायी जीवन समर्थन हेतु.
स्प्राउट्स परियोजना: बीजों का अंकुरण अंतरिक्ष में कैसे प्रभावित होता है, इसका अध्ययन किया, जिसका मकसद दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए टिकाऊ फसल उत्पादन का मार्ग प्रशस्त करना.
STEM प्रदर्शन: गुरुत्वाकर्षण में बदलाव
शुक्ला ने ISS में STEM प्रदर्शन रिकॉर्ड करके दिखाया कि गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में पदार्थों के मिश्रण, चरण-परिवर्तन और गैसीय क्रियाएं किस तरह बदलती हैं. यह प्रयोग भारतीय मध्य और उच्च विद्यालयों में विज्ञान की समझ को मजबूत करेगा.
आकाश को छूती प्रेरणा
3-4 जुलाई को ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ में स्थित अपने पूर्व विद्यालय, सिटी मोंटेसरी स्कूल में लगभग 500 छात्रों से बातचीत की. इसरो ने अभी तक इस गतिविधि का वीडियो जारी नहीं किया है, लेकिन यह एक बड़ा कदम है. इसरो के ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (HSFC) का उद्देश्य युवा मस्तिष्कों में अंतरिक्ष विज्ञान को प्रेरित करना और भविष्य के वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करना है.
विद्यार्थियों से संवाद
इसरो ने कहा कि छात्रों के साथ आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी में उनकी जिज्ञासा को बढ़ना मकसद है. यह पहल युवा पीढ़ी को अंतरिक्ष क्षेत्र में करियर अपनाने और विकसित भारत के सपने को साकार करने में मदद करेगी.
प्रधानमंत्री के 18 मिनट की बातचीत से प्रेरणा
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्ला के साथ हुई 18 मिनट की बातचीत में उनकी भावनाओं की प्रशंसा की, विशेषकर पृथ्वी को अंतरिक्ष से देखने पर भारत की भव्यता का उल्लेख किया गया—जिससे विंग कमांडर राकेश शर्मा का 1984 का "सारे जहां से अच्छा" वाक्य ताजा हो गया.
इसरो की अगली चुनौतियां
ग्रुप कैप्टन शुक्ला का मिशन न केवल वैज्ञानिक परीक्षणों का निरंतर संचालन है, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को वैश्विक स्तर पर पेश करने का भी एक मजबूत पहलू है. इसका दीर्घकालिक प्रभाव भारतीय स्टेम शिक्षा को मजबूत करेगा और युवाओं को अंतरिक्ष अन्वेषण तथा वैज्ञानिक करियर के लिए प्रेरित करेगा.