'पार्टी नेतृत्व में कुछ लोगों से मेरी राय अलग...', कांग्रेस के साथ मतभेदों पर पहली बार बोले शशि थरूर
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने स्वीकार किया है कि पार्टी नेतृत्व में कुछ लोगों से उनके मतभेद हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस और उसके कार्यकर्ताओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के सदस्य शशि थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व से अपने मतभेदों को लेकर खुलकर बयान दिया. उन्होंने माना कि पार्टी में कुछ नेताओं के साथ उनकी राय अलग है, लेकिन साथ ही ये भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस, उसके विचार और समर्पित कार्यकर्ता आज भी उनके दिल के बेहद करीब हैं.
शशि थरूर ने कहा कि उन्होंने पार्टी में 16 सालों तक कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम किया है और वो उन्हें सिर्फ सहकर्मी नहीं, बल्कि अपने भाई की तरह मानते हैं. हालांकि, उनका ये भी कहना है कि जहां उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाता, वहां वे नहीं जाते.
शशि थरूर की साफ स्वीकारोक्ति
शशि थरूर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस नेतृत्व में कुछ लोगों से मेरी राय अलग है. आप जानते हैं कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूं, क्योंकि इनमें से कुछ मुद्दे सार्वजनिक हो चुके हैं और आपने भी इन्हें रिपोर्ट किया है. उन्होंने ये नहीं बताया कि ये मतभेद राष्ट्रीय नेतृत्व से हैं या प्रदेश नेतृत्व से. हालांकि, उन्होंने संकेत दिया कि उपचुनावों के नतीजे आने के बाद वे इन मुद्दों पर खुलकर बात करेंगे.
'वहां नहीं जाता, जहां मुझे आमंत्रण नहीं'
जब शशि थरूर से पूछा गया कि वो नीलांबुर उपचुनाव के प्रचार अभियान में क्यों नहीं दिखे, तो उन्होंने दो टूक कहा कि मैं वहां नहीं जाता, जहां मुझे आमंत्रित नहीं किया गया हो. उन्होंने बताया कि उन्हें इस बार किसी प्रचार कार्यक्रम के लिए नहीं बुलाया गया, जबकि इससे पहले हुए उपचुनावों में उन्हें आमंत्रित किया गया था. हालांकि, उन्होंने यूडीएफ उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए शुभकामनाएं दीं और जीत की कामना की.
पीएम मोदी से मुलाकात पर शशि थरूर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हालिया बैठक पर टिप्पणी करते हुए शशि थरूर ने स्पष्ट किया कि बैठक केवल ऑपरेशन सिंदूर के तहत अंतरराष्ट्रीय यात्राओं और चर्चाओं तक सीमित रही. हमने घरेलू राजनीति से जुड़ा कोई विषय नहीं उठाया. चर्चा केवल उन प्रतिनिधिमंडलों की विदेश यात्राओं और वहां हुए संवाद पर रही.
शशि थरूर ने केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने के अपने फैसले का भी मजबूती से बचाव किया. उन्होंने कहा कि जब मैंने संसद की विदेश मामलों की समिति की अध्यक्षता स्वीकार की थी, तब ही स्पष्ट कर दिया था कि मेरा फोकस भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय हित पर होगा, ना कि कांग्रेस या भाजपा की विदेश नीति पर.


