'नुकसान नहीं, नतीजे मायने रखते हैं', ऑपरेशन सिंदूर पर विवाद के बीच बोले सीडीएस जनरल चौहान
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने पुणे विश्वविद्यालय में ‘भविष्य के युद्ध’ पर भाषण देते हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को उसके उद्देश्य से जोड़ा. उन्होंने पहलगाम हमले की निंदा की, पाकिस्तान की आतंकी नीति की आलोचना की और कहा कि भारत आतंकवाद व परमाणु धमकियों से नहीं डरता. आधुनिक युद्ध में तकनीक और संचार की भूमिका को भी रेखांकित किया.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में ‘भविष्य के युद्ध और युद्ध’ विषय पर दिए गए व्याख्यान में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए नुकसान उतने महत्वपूर्ण नहीं थे जितना कि उसका परिणाम. उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी सैन्य कार्रवाई की सफलता उसके उद्देश्य की पूर्ति से मापी जानी चाहिए, न कि केवल उससे हुए नुकसानों से.
पहलगाम हमला
जनरल चौहान ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले की चर्चा करते हुए इसे ‘गहन क्रूरता’ का उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि हमले में पीड़ितों को उनके परिवार और बच्चों के सामने सिर में गोली मारी गई. उनका कहना था कि यह हमला केवल निर्दोषों की हत्या नहीं, बल्कि धार्मिक घृणा फैलाने की कोशिश थी, जो आधुनिक समाज के मूल्यों के खिलाफ है.
भारत सबसे अधिक आतंकवाद से प्रभावित देश
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को दशकों से आतंकवाद का सामना करना पड़ा है और यह एक या दो घटनाओं का देश नहीं है. जनरल चौहान ने आंकड़ों के हवाले से बताया कि अब तक देश में करीब 20,000 लोग आतंकी हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत आतंकवाद का सबसे बड़ा शिकार रहा है.
हज़ार ज़ख्म देकर भारत को कमजोर करना
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हालिया बयान की प्रतिक्रिया में जनरल चौहान ने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से “हज़ार घाव देने” की रणनीति अपनाकर भारत को अस्थिर करने की कोशिश करता रहा है. उन्होंने कहा कि भारत को अब यह स्वीकार नहीं है कि कोई देश आतंकवाद को राज्य नीति की तरह प्रयोग करे.
‘परमाणु ब्लैकमेल’ से नहीं डरता भारत
सीडीएस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इस विश्वास पर आधारित था कि भारत आतंकवाद और परमाणु धमकियों की छाया में नहीं जी सकता. उन्होंने यह भी कहा कि यह ऑपरेशन पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध भारत की निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक है.
अपने व्याख्यान में उन्होंने युद्ध के तीन प्रमुख तत्वों की बात की—हिंसा, उसके पीछे की राजनीति, और संचार. उन्होंने समझाया कि युद्ध केवल शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि राजनीतिक संदेश देने का माध्यम भी होता है. संचार की भूमिका युद्ध में आज के युग में और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.
आधुनिक युद्ध और तकनीकी जोखिम
जनरल चौहान ने स्वीकार किया कि हाल के वर्षों में भारत ने अत्याधुनिक क्षमताएं विकसित की हैं, लेकिन उन्हें युद्धक्षेत्र में सीमित रूप से ही आजमाया गया है. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने उन्नत ड्रोन-रोधी प्रणालियों और रणनीतिक तकनीकों का प्रभावी उपयोग किया.
'लचीलेपन से तय होती है सेना की पहचान'
उन्होंने कहा कि असली सैन्य पेशेवर वही होता है जो असफलताओं के बावजूद मजबूती से खड़ा रहे. भारतीय सेना हर पारंपरिक और हाइब्रिड खतरे का सामना करने में पूरी तरह सक्षम है.


