'भारत आज भी...', अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद शुभाांशु शुक्ला ने शेयर किया अपना अनुभव
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रा की और इसे राष्ट्र के लिए गौरवपूर्ण अनुभव बताया. उन्होंने अंतरिक्ष से भारत को सबसे सुंदर देश बताया. मिशन से लौटने पर उनका जोरदार स्वागत हुआ, जो पूरे देश के समर्थन और गर्व को दर्शाता है.

भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में एक्सिओम-4 मिशन के तहत अपने अंतरिक्ष यात्रा अनुभव साझा किए. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अपने अनुभवों को 'अमूल्य' बताया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बिताए गए पल उनके जीवन के सबसे यादगार क्षणों में से थे.
शुभांशु शुक्ला ने भावुक होते हुए कहा कि मैं उन सभी भारतीयों का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने इस मिशन को अपना समझा और मुझे निरंतर समर्थन दिया. इस मिशन के दौरान मुझे हर पल महसूस हुआ कि यह सिर्फ मेरा नहीं बल्कि पूरे देश का मिशन था. उनकी इस भावना से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने इस अनुभव को केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं बल्कि राष्ट्रीय गौरव के रूप में देखा.
अंतरिक्ष से दिखता है सबसे सुंदर भारत
शुक्ला ने अपने वक्तव्य में यह भी बताया कि जब उन्होंने अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखा, तो भारत उन्हें सबसे सुंदर नजर आया. उन्होंने कहा कि आज भी अंतरिक्ष से जब मैं भारत की ओर देखता हूं, तो यह दुनिया का सबसे खूबसूरत देश नजर आता है. सच में, भारत 'सारे जहां से अच्छा' दिखता है. इस बयान के साथ उन्होंने "जय हिंद, जय भारत" का नारा लगाकर अपने देश के प्रति अपनी भावनाएं और गर्व को जाहिर किया.
एक्सिओम-4 मिशन में भारत की दूसरी उड़ान
शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने एक्सिओम-4 मिशन के माध्यम से अंतरिक्ष की यात्रा की है. इस मिशन के तहत उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोगों और परीक्षणों में भाग लिया, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. उनकी यह यात्रा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक और मील का पत्थर साबित हुई है.
देश लौटने पर हुआ शानदार स्वागत
अपनी अंतरिक्ष यात्रा के बाद शुक्ला 17 अगस्त को भारत लौटे. 18 अगस्त, रविवार को जब वे दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे, तो वहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया. लोग तिरंगे झंडे और फूलों के साथ उनके सम्मान में एकत्र हुए. उनका यह भव्य स्वागत इस बात का प्रतीक था कि देश ने उन्हें कितनी गहराई से अपनाया और उनके साहसिक कार्यों पर गर्व महसूस किया.


