'हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं', मुंबई में हिंदी का विरोध हुआ तेज, राज ठाकरे की पार्टी ने दी धमकी
मनसे प्रमुख ने कहा कि हम केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश को 'हिंदीकृत' करने के प्रयासों को महाराष्ट्र में सफल नहीं होने देंगे. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है. यह देश की अन्य भाषाओं की तरह एक राज्य की भाषा है. फिर इसे महाराष्ट्र में पहली कक्षा से क्यों पढ़ाया जाना चाहिए? राज ठाकर ने ने कहा कि इस देश में भाषा के आधार पर राज्यों का गठन हुआ और यह व्यवस्था इतने वर्षों तक चली.

महाराष्ट्र में मराठी बनाम हिंदी भाषा की बहस ने एक तीखा मोड़ ले लिया है, राज ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने हिंदी को बढ़ावा देने के अपने विरोध को और तेज कर दिया है. मुंबई का दिल कहे जाने वाले दादर में मनसे कार्यकर्ताओं ने भड़काऊ पोस्टर लगाए हैं. स्थानीय लोगों का पोस्टरों की ओर ध्यान गया, जिससे राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है. पोस्टर में लिखा गया है कि हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं.
इन पोस्टर्स में मराठी भाषी कुछ ग्रुप के बीच बढ़ते गुस्से को दिखाया गया है. उन्हें लगता है कि क्षेत्रीय भाषा को दरकिनार किया जा रहा है. मनसे ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार हिंदी के पक्ष में अपने फैसले को वापस नहीं लेती है, तो भयंकर संघर्ष होगा और सरकार पर पड़ने वाले इसके परिणामों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार जिम्मेदार होगी.
राज ठाकरे ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक की
ठाकरे के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक मुंबई में चल रही है. सूत्रों ने बताया कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य महाराष्ट्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के हालिया फैसले का विरोध करने की रणनीति तैयार करना है.
इससे पहले गुरुवार को राज ठाकरे ने पहली कक्षा से हिंदी अनिवार्य करने के लिए राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि उनकी पार्टी इस जबरदस्ती को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी. राज ठाकरे ने 10वीं कक्षा से पहले कहा कि राज्य स्कूल पाठ्यक्रम योजना 2024 के अनुसार, महाराष्ट्र में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना इस जबरदस्ती को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी.
राज ठाकर ने किए सवाल
मनसे प्रमुख ने कहा कि हम केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश को 'हिंदीकृत' करने के प्रयासों को महाराष्ट्र में सफल नहीं होने देंगे. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है. यह देश की अन्य भाषाओं की तरह एक राज्य की भाषा है. फिर इसे महाराष्ट्र में पहली कक्षा से क्यों पढ़ाया जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि त्रिभाषा सूत्र केवल सरकारी कार्यों तक ही सीमित होना चाहिए, इसे शिक्षा क्षेत्र पर थोपने की कोशिश न करें. राज ठाकर ने ने कहा कि इस देश में भाषा के आधार पर राज्यों का गठन हुआ और यह व्यवस्था इतने वर्षों तक चली. ठाकरे ने सवाल किया कि अचानक दूसरे राज्य की भाषा को महाराष्ट्र पर थोपने की प्रक्रिया क्यों शुरू हुई?
महाराष्ट्र में हिंदी तीसरी भाषा
आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने सभी राज्य बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 1 से मराठी और अंग्रेज़ी के साथ-साथ तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है. यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के मुताबिक लिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, अगले शैक्षणिक वर्ष से कक्षा एक से पांच तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य होगी.


