छत्तीसगढ़ के सुकमा में रहस्यमय बीमारी से 13 की मौत, लोगों में दहशत का माहौल...प्रशासन के फूले हाथ-पैर
सभी पीड़ितों ने अपनी मौत से पहले सीने में दर्द और लगातार खांसी की शिकायत की थी. सूत्रों का कहना है कि ओडिशा सीमा के करीब छिंदगढ़ ब्लॉक के इस छोटे से गांव में लगभग हर घर प्रभावित है. उन्होंने कहा कि निवासियों को डर है कि अगला शिकार वे होंगे. मेडिकल टीमें गांव में कैंप कर रही हैं. घर-घर जाकर लोगों का सर्वे किया जा रहा है. उन्हें ओआरएस दिया जा रहा है.

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले सुकमा के एक गांव में रहस्यमय बीमारी से पिछले एक महीने में 13 लोगों की जान चली गई. लेकिन प्रशासन का कहना है कि हाल ही में पांच ग्रामीणों की मौत हुई है, जिनमें से 2 का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है. जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी और रायपुर से 400 किमी दक्षिण में स्थित गांव में तुरंत एक मेडिकल टीम भेजी गई हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, सभी पीड़ितों ने अपनी मौत से पहले सीने में दर्द और लगातार खांसी की शिकायत की थी. सूत्रों का कहना है कि ओडिशा सीमा के करीब छिंदगढ़ ब्लॉक के इस छोटे से गांव में लगभग हर घर प्रभावित है. उन्होंने कहा कि निवासियों को डर है कि अगला शिकार वे होंगे.
जानें क्या बोले CMO?
सुकमा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी(CMO) डॉ कपिल देव कश्यप ने बताया कि हाल ही में पांच मौतें हुई हैं. उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में तीन लोगों की मौत उम्र से संबंधित बीमारियों के कारण हुई तथा अन्य दो की मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है. हमारी स्वास्थ्य टीमों ने पाया है कि इसका मुख्य कारण मौसम में बदलाव है, जो महुआ की कटाई के समय के साथ मेल खाता है, जब ग्रामीण जंगलों में जाते हैं और पूरे दिन महुआ इकट्ठा करते हैं. इससे निर्जलीकरण हो रहा है और वे बीमार पड़ रहे हैं.
घर-घर जाकर हो रहा सर्वे
कश्यप ने कहा कि मेडिकल कैंप लगातार "ट्रीटमेंट और निवारक" उपायों पर काम कर रहे हैं और ग्रामीणों को ओआरएस दिया जा रहा है क्योंकि वे महुआ इकट्ठा करने के लिए जंगल में जाने पर अड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जा रहा है और जंगल से लौटने वाले या खेत में काम करने के बाद पसीने से तर पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को ओआरएस दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बेचैनी की शिकायत वाले अन्य लोगों का इलाज किया जा रहा है और उनकी निगरानी की जा रही है. हमने लोगों से अपील की है कि अगर वे अस्वस्थ महसूस करते हैं तो तुरंत रिपोर्ट करें.
मृतकों का किया गया अंतिम संस्कार
एक सरकारी डॉक्टर के अनुसार, उन्हें दो दिन पहले ही मौतों के बारे में सूचित किया गया था और तुरंत मेडिकल टीमें भेजी गईं. डॉक्टर ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं और परीक्षण के लिए रक्त और मूत्र के नमूने एकत्र किए हैं. चूंकि सभी पीड़ितों का अंतिम संस्कार कर दिया गया है और कोई शव परीक्षण नहीं किया गया है, इसलिए मौतों का कारण अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है.
लक्षण दिखें तो तुरंत दें सूचना
एक अधिकारी ने कहा कि निर्णायक निदान किए जाने से पहले आगे की जांच की आवश्यकता है. हम जल्द से जल्द निदान करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं ताकि जरूरत पड़ने पर निवारक उपाय किए जा सकें. अपने स्वजनों के लिए रोने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, इनमें से एक तस्वीर में एक व्यक्ति बेहद घबराया हुआ दिख रहा है, जो कह रहा है कि उसे भी ऐसे ही लक्षण हैं और उसे नहीं पता कि वह कितने समय तक जीवित रहेगा. स्वास्थ्य टीमें घर-घर जाकर ग्रामीणों से कह रही हैं कि अगर किसी में ऐसे लक्षण दिखें तो वे अधिकारियों को सूचित करें.


