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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत का फोकस अब रक्षा निर्यात पर, 2029 तक 50000 करोड़ के एक्सपोर्ट का रखा लक्ष्य

ऑपरेशन सिंदूर भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, सटीक सैन्य रणनीति और ड्रोन व वायु रक्षा प्रणाली की सफलता का उदाहरण है. आतंकवाद के खिलाफ यह जवाब नियंत्रण रेखा पार किए बिना दिया गया. 'मेक इन इंडिया' के तहत बने हथियारों, ISRO की सैटेलाइट निगरानी और निजी क्षेत्र की भागीदारी ने भारत को एक उभरती सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित किया है. भारत अब वैश्विक रक्षा निर्यात में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

भारत का ऑपरेशन सिंदूर उन नए सुरक्षा खतरों के लिए एक सटीक सैन्य प्रतिक्रिया बनकर सामने आया है, जो अब केवल सैनिकों तक सीमित नहीं रह गए, बल्कि आम नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं. 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने इस खतरनाक प्रवृत्ति को उजागर किया. इस हमले के जवाब में भारत ने एक सीमित लेकिन प्रभावशाली सैन्य कार्रवाई की, जिसमें नियंत्रण रेखा या अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किए बिना आतंकी ढांचों को सफलतापूर्वक ध्वस्त किया गया.

तकनीक और आत्मनिर्भरता

ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सामरिक विजय नहीं थी, बल्कि यह भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता का परिचायक भी बना. ड्रोन, स्तरित वायु रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं के सफल समन्वय ने यह साबित कर दिया कि भारत अब अत्याधुनिक सैन्य अभियानों में स्वदेशी तकनीक के दम पर आत्मनिर्भर हो चुका है. ड्रोन युद्ध की सफलता में घरेलू अनुसंधान, उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजनाएं और 2021 से ड्रोन आयात पर रोक जैसी नीतियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

रक्षा निर्यात और मेक इन इंडिया का प्रभाव

भारत अब रक्षा उपकरणों का एक अग्रणी निर्यातक बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है. वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है और 2029 तक इसे 50,000 करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य है. 'मेक इन इंडिया' अभियान ने रक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. आधुनिक हथियार प्रणालियाँ जैसे धनुष तोप, अर्जुन टैंक, तेजस लड़ाकू विमान, और आकाश मिसाइलें अब स्वदेशी निर्माण की सफलता को दर्शाती हैं.

मेड इन इंडिया एयर डिफेंस सिस्टम

7-8 मई की रात पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने पूरी तरह निष्फल कर दिया. पिकोरा, ओसा-एके, एलएलएडी और आकाश जैसी प्रणालियों ने सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच बेहतरीन तालमेल से एक अभेद्य सुरक्षा कवच तैयार किया. साथ ही, भारत की IACCS प्रणाली ने नेट-केंद्रित युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई.

आक्रामक रणनीति और सटीक हमले

भारत ने रहीमयार खान और नूर खान एयरबेस सहित कई अहम पाक ठिकानों पर सर्जिकल हमले किए, जिसमें ड्रोन और निर्देशित हथियारों का सटीक इस्तेमाल हुआ. इन कार्रवाइयों में दुश्मन के रडार व मिसाइल प्रणालियाँ तबाह कर दी गईं, जबकि भारतीय संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

भारतीय नवाचार और भविष्य की तैयारी

ISRO की सैटेलाइट निगरानी, निजी उद्योगों के सहयोग और रक्षा गलियारों के निर्माण से भारत भविष्य के युद्धों के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है. ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया जैसे संगठनों के माध्यम से देश 2030 तक वैश्विक ड्रोन केंद्र बनने का प्रयास कर रहा है.

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16 May 2025, 03:58 PM IST

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