भारत-रूस संबंधों में बदलाव, अमेरिका के लिए क्या हैं ये संकेत?
भारत के एक मित्र देश रूस और एक प्रतिद्वंद्वी देश चीन ने चंद्रमा पर एक संयुक्त परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है. यह परियोजना 2035 तक पूरी होने का लक्ष्य है और इसे 'इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन' (ILRS) के हिस्से के रूप में विकसित किया जाएगा. इस संयंत्र का उद्देश्य चंद्रमा पर स्थापित होने वाले स्थायी मानव ठिकानों को आवश्यक ऊर्जा आपूर्ति करना है.

भारत और रूस के बीच बढ़ते संबंधों के बीच, दोनों देशों ने चंद्रमा पर एक स्वचालित न्यूक्लियर ऊर्जा स्टेशन स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसे 2035 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. यह परियोजना चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) और रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के बीच सहयोग का हिस्सा है. इसका उद्देश्य चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति के लिए आवश्यक ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करना है.
चंद्रमा पर दिन और रात का चक्र पृथ्वी से भिन्न है, जिसमें लगभग 29.5 दिन का दिन और रात का समय होता है. इस दौरान, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में कुछ स्थानों पर सूर्य की रोशनी लगभग स्थायी रूप से रहती है, जबकि अन्य स्थानों पर लंबी अवधि तक अंधेरा रहता है. इस अंधेरे में तापमान -130°C तक गिर सकता है, जिससे ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति एक चुनौती बन जाती है. परंपरागत ऊर्जा स्रोत जैसे सौर पैनल या डीजल जनरेटर इस वातावरण में प्रभावी नहीं हो सकते. इसलिए, न्यूक्लियर ऊर्जा एक स्थिर और दीर्घकालिक समाधान के रूप में उभरती है.
परियोजना की विशेषताएं
यह न्यूक्लियर ऊर्जा स्टेशन पूरी तरह से स्वचालित होगा, जिसे मानव उपस्थिति के बिना रोबोटिक तकनीकों द्वारा स्थापित किया जाएगा. इसमें एक न्यूक्लियर रिएक्टर, ऊर्जा आपूर्ति के लिए पाइपलाइनों और केबल्स का नेटवर्क, और तापीय और विद्युत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अन्य अवसंरचनाएँ शामिल होंगी. रूस और चीन की अंतरिक्ष एजेंसियाँ इस परियोजना के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों के विकास में जुटी हैं, और 2035 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
भारत की स्थिति
भारत ने हाल ही में नासा के आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो चंद्रमा पर शांतिपूर्ण अन्वेषण के लिए अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देश प्रदान करता है. इस समझौते के तहत, भारत और नासा के बीच चंद्रमा और उससे आगे के अभियानों के लिए सहयोग बढ़ाने की योजना है. हालाँकि, वर्तमान में भारत की चंद्रमा पर न्यूक्लियर ऊर्जा स्टेशन स्थापित करने की कोई योजना नहीं है, लेकिन भविष्य में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत इस दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं.


