'गिरफ्तार होने से पहले मैंने भी इस्तीफा दिया था...', विपक्षी हंगामे के बाद अमित शाह ने किया पलटवार
लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और इसे संविधान से खिलवाड़ बताया. अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि ये बिल राजनीतिक नैतिकता व पारदर्शिता को मजबूत करेगा.

Amit Shah: लोकसभा में सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने संविधान संशोधन विधेयक समेत तीन बिल पेश किए, जिसके बाद सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला. विपक्षी दलों ने इसे संविधान से खिलवाड़ बताते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. 'संविधान को मत तोड़ो' जैसी आवाजें सदन में गूंजती रहीं. अमित शाह ने विपक्षी हमलों पर पलटवार करते हुए कहा कि उन पर भी झूठे आरोप लगे थे और उन्होंने खुद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था. वअमित शाह ने कहा कि जब तक अदालत ने मुझे बरी नहीं किया, मैंने कोई पद नहीं संभाला. इस बयान के बाद विपक्षी सांसदों ने पेपर फाड़कर शाह की ओर फेंके, जिससे माहौल और गरम हो गया.
'कानून सबके लिए समान'- अमित शाह
गृहमंत्री अमित शाह ने दोहराया कि ये बिल पास होने पर मंत्री स्तर पर जवाबदेही और कठोर हो जाएगी. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ बने कड़े कानून से घबरा रहा है. अमित शाह ने कहा कि यह कदम राजनीतिक नैतिकता और पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए उठाया गया है.
विपक्ष का जोरदार विरोध
इस विधेयक का कांग्रेस, AIMIM और समाजवादी पार्टी सहित कई दलों ने जमकर विरोध किया. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस पर सवाल उठाए. मनीष तिवारी ने कहा कि इसके राजनीतिक दुरुपयोग का डर है. मैं इन तीनों विधेयकों का पुरजोर विरोध करता हूं. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और समाजवादी पार्टी ने भी इस प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया. कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने बहस के दौरान अमित शाह के गुजरात में मंत्री रहते गिरफ्तारी का मामला उठाया. इस पर अमित शाह ने कहा कि मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था और अदालत ने मुझे निर्दोष साबित किया. इस पर धर्मेंद्र यादव ने तंज कसते हुए कहा कि अमित शाह खुद नैतिकता की बात कर रहे हैं.
क्या है विधेयक का उद्देश्य?
संविधान संशोधन विधेयक का मकसद ये है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री किसी आपराधिक मामले में फंसता है तो उसे 30 दिनों के भीतर पद से इस्तीफा देना होगा. ये प्रावधान राजनीति में जवाबदेही, पारदर्शिता और नैतिकता को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित किया गया है. भारी शोरगुल और विपक्षी हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. विपक्ष का कहना है कि ये विधेयक संविधान को कमजोर करने की कोशिश है, वहीं सरकार का दावा है कि इससे राजनीतिक शुचिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा.


