अटल बिहारी वाजपेयी जयंती: वो 10 फैसले जिन्होंने भारत की दिशा बदल दी
25 दिसंबर को मनाई जाने वाली अटल बिहारी वाजपेयी जयंती उनके दूरदर्शी नेतृत्व को याद करने का अवसर है. उनके कार्यकाल में किए गए ऐतिहासिक सुधारों ने शिक्षा, अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे और डिजिटल भारत की मजबूत नींव रखी.

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती हर साल 25 दिसंबर को मनाई जाती है. 25 दिसंबर 1924 को जन्मे वाजपेयी न केवल एक कुशल राजनेता थे, बल्कि दूरदर्शी नेता भी थे, जिन्होंने भारत को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार किया. वे देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. उनके नेतृत्व में शुरू किए गए कई बड़े सुधारों ने आधुनिक भारत की आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी संरचना को मजबूत किया.
सरवा शिक्षा अभियान: शिक्षा की मजबूत नींव
साल 2000 में शुरू किया गया सरवा शिक्षा अभियान वाजपेयी सरकार की ऐतिहासिक पहल थी. इसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष के बच्चों को सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा देना था. इस योजना से करीब 20 करोड़ बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा और चार वर्षों में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में लगभग 60 प्रतिशत की कमी आई. आगे चलकर यही पहल शिक्षा का अधिकार कानून की आधारशिला बनी.
कर सुधार: आधुनिक टैक्स सिस्टम की शुरुआत
2002 में गठित विजय केलकर टास्क फोर्स ने भारत की कर व्यवस्था में बड़े बदलाव सुझाए. पैन कार्ड के विस्तार, कर प्रशासन में सुधार और डिजिटल टैक्स ढांचे की नींव इसी दौर में पड़ी. इन्हीं सुधारों ने आगे चलकर जीएसटी, ई-टैक्स नेटवर्क और वेल्थ टैक्स समाप्ति जैसे फैसलों का रास्ता साफ किया.
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली और ब्याज दर सुधार
वाजपेयी सरकार ने 2004 में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) शुरू की, जिससे सरकारी कर्मचारियों के लिए अंशदायी पेंशन व्यवस्था लागू हुई. इसके साथ ही ब्याज दरों को सरकारी बॉन्ड से जोड़कर आर्थिक अनुशासन मजबूत किया गया, जिससे महंगाई नियंत्रण में रही.
टेलीकॉम और विमानन क्षेत्र में क्रांति
1999 की नई टेलीकॉम नीति ने भारत में मोबाइल और इंटरनेट क्रांति की नींव रखी. प्रतिस्पर्धा बढ़ी, कॉल दरें घटीं और देश डिजिटल युग की ओर बढ़ा. वहीं नागरिक उड्डयन क्षेत्र में निजी भागीदारी का रास्ता खोला गया, जिससे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे एयरपोर्ट विश्वस्तरीय बने.
बिजली और ऊर्जा क्षेत्र में बड़े फैसले
विद्युत अधिनियम 2003 के जरिए बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण को अलग किया गया, जिससे निजी निवेश को बढ़ावा मिला. इसके साथ ही अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट्स की अवधारणा सामने आई. ऊर्जा सुरक्षा के लिए विदेशों में तेल-गैस निवेश और पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की शुरुआत भी इसी दौर में हुई.
बीमा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और सुधार
2000 में IRDAI की स्थापना कर एलआईसी के एकाधिकार को खत्म किया गया. निजी कंपनियों के आने से बीमा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ी, सेवाओं में सुधार हुआ और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिले.
सड़क नेटवर्क: विकास की रफ्तार
वाजपेयी सरकार की गोल्डन क्वाड्रिलेटरल परियोजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने शहरी और ग्रामीण भारत को जोड़ा. बेहतर सड़कों से व्यापार, रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिली.
आधुनिक भारत के शिल्पकार
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में किए गए ये सुधार आज भी भारत की विकास यात्रा का आधार हैं. उनकी नीतियों ने न सिर्फ तत्काल परिणाम दिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए मजबूत और आत्मनिर्भर भारत की नींव भी रखी.


