क्रिसमस 2025: यीशु मसीह से माफी क्यों मांगते हैं लोग, क्या प्रभु हर पाप को कर देते हैं माफ?
क्रिसमस का दिन सिर्फ उपहारों, मिठाइयों और चमक-दमक वाला त्योहार नहीं है, बल्कि ये प्रेम, खुशी और सबसे खास क्षमा का खूबसूरत मौका भी है. लेकिन इसी दिन बहुत से लोग चुपके-चुपके प्रभु यीशु से माफी भी मांगते हैं लेकिन क्यो?

नई दिल्ली: भारत समेत पूरी दुनिया में 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन चर्चों की भव्य सजावट, प्रार्थनाओं और गीतों से वातावरण भक्तिमय हो जाता है. ईसाई समुदाय के लिए क्रिसमस सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है.
क्रिसमस के अवसर पर लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं, शुभकामनाएं शेयर करते हैं और आपसी प्रेम व भाईचारे का संदेश फैलाते हैं. इस दिन का एक विशेष महत्व क्षमा से भी जुड़ा है. लोग अपने किए गए अपराधों और भूलों के लिए प्रभु यीशु से क्षमा मांगते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्रिसमस पर क्षमा मांगने की परंपरा क्यों है?
क्षमा को क्यों माना गया सबसे बड़ा उपहार
ईसाई मान्यताओं के अनुसार, किसी व्यक्ति द्वारा दिया गया सबसे महान उपहार क्षमा है. प्रभु यीशु मसीह ने अपने जीवन और उपदेशों के माध्यम से प्रेम, दया और क्षमा का संदेश पूरी दुनिया को दिया. उनका संपूर्ण जीवन त्याग और करुणा का प्रतीक माना जाता है.
क्रूस पर भी क्षमा का संदेश
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जब प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया, तब भी उन्होंने अपने अत्याचारियों के लिए प्रार्थना की. उन्होंने कहा था, 'हे पिता इन्हें क्षमा करना क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं? मैं तुझसे सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा.' इसके बाद उन्होंने कहा कि हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं. इन वचनों के माध्यम से यीशु मसीह ने यह संदेश दिया कि क्षमा ही सच्चा धर्म है.
मानव जाति के पापों के लिए बलिदान
मान्यता है कि प्रभु यीशु मसीह ने मानव जाति के पापों का भार स्वयं उठाया और उसकी कीमत अपने बलिदान से चुकाई. इसी विश्वास के चलते क्रिसमस के दिन लोग अपने पापों को स्वीकार करते हैं, पश्चाताप करते हैं और प्रभु यीशु से क्षमा की प्रार्थना करते हैं, ताकि उन्हें मानसिक शांति और ईश्वर की कृपा प्राप्त हो सके.
क्षमा, प्रेम और सेवा का पर्व
क्रिसमस केवल प्रभु से क्षमा मांगने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दूसरों को क्षमा करने, प्रेम करने और सेवा भाव अपनाने का भी संदेश देता है. यही शिक्षाएं प्रभु यीशु मसीह ने अपने अनुयायियों को दी थीं.
सच्चे मन से मांगी गई क्षमा
बाइबिल के अनुसार, जो व्यक्ति प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करता है, ईमानदारी से अपने पापों को स्वीकार करता है और सच्चे मन से पश्चाताप करता है, उसके पापों को प्रभु यीशु क्षमा कर देते हैं. इसी विश्वास के साथ दुनिया भर में लोग क्रिसमस के दिन क्षमा और करुणा के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


