कर्ज, बेबसी और सिस्टम की नाकामी ने मुज़फ्फरपुर में एक पिता को बना दिया अपने ही बच्चों का कातिल
बिहार के मुज़फ्फरपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां कर्ज और तनाव से टूटे पिता ने तीन बेटियों की हत्या कर आत्महत्या कर ली, दो बेटे बाल-बाल बचे।

मुज़फ्फरपुर जिले के मिशरौलिया गांव में रविवार देर रात खौफनाक मंजर देखने को मिला। एक पिता ने अपनी तीन बेटियों की हत्या कर खुद भी फांसी लगा ली। सुबह गांव में खबर फैलते ही हड़कंप मच गया। लोग घर के बाहर जमा हो गए। किसी को यकीन नहीं हो रहा था। पूरा गांव शोक में डूब गया। हर आंख नम थी। यह घटना गांव के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में गिनी जा रही है।
कौन थे इस त्रासदी के शिकार?
मृतक की पहचान अमरनाथ राम के रूप में हुई, जिनकी उम्र करीब 36–37 साल बताई जा रही है। उनकी बेटियां अनुराधा कुमारी, शिवानी कुमारी और राधिका कुमारी थीं। तीनों नाबालिग थीं। अमरनाथ के दो बेटे भी हैं। बेटे शिवम और चंदन इस घटना में बच गए। परिवार पहले ही मां को खो चुका था। घर की हालत बेहद कमजोर थी।
कर्ज और तनाव बना वजह?
गांव वालों के मुताबिक अमरनाथ राम लंबे समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। उन पर कर्ज का भारी बोझ था। काम स्थायी नहीं था। आमदनी कभी होती, कभी नहीं। लोगों ने यह भी बताया कि वह शराब की लत में भी थे। तनाव लगातार बढ़ रहा था। परिवार की जिम्मेदारियां भारी पड़ने लगी थीं। पुलिस इसी एंगल से जांच कर रही है।
घटना से पहले क्या हुआ था?
रविवार रात परिवार ने साथ बैठकर खाना खाया था। एक बेटी ने खुद खाना बनाया था। खाने में चावल, आलू, सोयाबीन की सब्जी और अंडा था। बाहर से सब कुछ सामान्य लग रहा था। किसी ने झगड़ा नहीं सुना। रात के सन्नाटे में अचानक यह वारदात हुई। सुबह तक किसी को भनक नहीं लगी। यही बात लोगों को सबसे ज्यादा चौंका रही है।
दो बेटे कैसे बच गए?
पुलिस के अनुसार अमरनाथ ने बच्चों को एक लोहे के बक्से पर खड़ा किया। साड़ी से फंदा बनाया गया। बच्चों से कूदने को कहा गया। शिवम को गर्दन में तेज दर्द हुआ। उसने किसी तरह फंदा ढीला कर लिया। फिर उसने अपने छोटे भाई चंदन को भी बचाया। दोनों की समझदारी से जान बची। यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।
पुलिस जांच में क्या सामने आया?
घटना की जानकारी मिलते ही सकरा थाना पुलिस मौके पर पहुंची। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। एसडीपीओ ईस्ट-2 मनोज कुमार सिंह ने कहा कि पोस्टमार्टम के बाद ही स्थिति साफ होगी। पुलिस गांव वालों और रिश्तेदारों से पूछताछ कर रही है। आर्थिक हालत की भी जांच हो रही है। फिलहाल किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगा।
यह घटना क्या चेतावनी देती है?
यह घटना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। आर्थिक दबाव और मानसिक तनाव इंसान को कहां ले जा सकता है, यह साफ दिखता है। समय पर मदद और काउंसलिंग बहुत जरूरी है। गांव में लोग सदमे में हैं। दोनों बच्चे फिलहाल पुलिस देखरेख में हैं। यह त्रासदी बताती है कि चुपचाप टूटते लोगों को समय रहते संभालना जरूरी है।


