24 घंटे में 16 बार दिन-रात... फिर अंतरिक्ष में कैसे लंच और डिनर करते है एस्ट्रोनॉट्स
अंतरिक्ष यात्रियों की दिनचर्या पृथ्वी जैसी ही होती है, भले ही अंतरिक्ष में हर 90 मिनट में सूर्योदय और सूर्यास्त होता है. वे 24 घंटे के अनुसार नाश्ता, लंच और डिनर करते हैं. खाना फ्रीज-ड्राइड और वैक्यूम-पैक होता है, जिसे गर्म पानी या ओवन से तैयार किया जाता है. डिहाइड्रेटेड भोजन में पानी मिलाकर खाया जाता है. नींद, काम और भोजन का समय तय होता है.

अंतरिक्ष की दुनिया अपने आप में रहस्यमयी है और वहां की जिंदगी भी बेहद दिलचस्प होती है. खासकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्री हर 90 मिनट में पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाते हैं. इसका मतलब यह है कि वे दिन में लगभग 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त का अनुभव करते हैं. हालांकि, इतनी बार दिन-रात बदलने के बावजूद अंतरिक्ष यात्री बार-बार नाश्ता, लंच या डिनर नहीं करते. वे पृथ्वी पर निर्धारित 24 घंटे की समय-सारणी के अनुसार ही अपना जीवन जीते हैं. उनके लिए एक दिन की शुरुआत और अंत वैसे ही होती है जैसे धरती पर रहने वालों की होती है.
अंतरिक्ष में कैसे खाते हैं खाना
स्पेस में समय को लेकर चाहे जितनी भी भ्रम की स्थिति हो, लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों की दिनचर्या में भोजन का एक विशेष स्थान होता है. वे तीन मुख्य भोजन करते हैं नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना. इसके अलावा कभी-कभी हल्के नाश्ते या स्नैक्स भी लिए जाते हैं. अंतरिक्ष में भारहीनता के कारण भोजन करना एक चुनौती होता है, इसलिए वहां भोजन विशेष तकनीकों से तैयार किया जाता है.
भोजन की तैयारी और पैकिंग होती है खास
अंतरिक्ष में खाना धरती जैसा नहीं होता. वहां पर सभी खाद्य पदार्थ फ्रीज-ड्राइड और वैक्यूम-पैक होते हैं ताकि वे लंबे समय तक सुरक्षित रहें. भोजन में स्क्रैम्बल्ड एग्स, दलिया, फल, सूखे मेवे और फ्रूट बार जैसी चीजें शामिल होती हैं. इन्हें पैकेट से निकालकर गर्म पानी मिलाकर तैयार किया जाता है. कुछ मामलों में अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद स्पेशल ओवन की मदद से भी भोजन को गर्म किया जाता है. क्योंकि वहां पानी की आपूर्ति सीमित होती है, इसलिए सूखा खाना ही प्राथमिकता होता है और उसमें जरूरत के अनुसार पानी मिलाया जाता है.
खास तकनीक से होती है पानी की व्यवस्था
ISS पर मौजूद पानी को रिसाइकल कर इस्तेमाल किया जाता है. यही पानी पीने से लेकर खाने को तैयार करने तक हर जरूरत में इस्तेमाल होता है. अंतरिक्ष यात्री बहुत सतर्कता से इसका प्रयोग करते हैं क्योंकि इसकी उपलब्धता सीमित होती है.
इस तरह, अंतरिक्ष में रहने वाले अंतरिक्ष यात्री दिन में 16 बार दिन-रात का अनुभव तो करते हैं लेकिन उनकी दिनचर्या और भोजन व्यवस्था पृथ्वी जैसी ही होती है. उनकी खानपान की आदतें, खाना पकाने की तकनीकें और पानी का उपयोग बेहद खास और वैज्ञानिक ढंग से तय किया गया होता है ताकि वे हजारों किलोमीटर दूर रहकर भी स्वस्थ और ऊर्जावान बने रह सकें.


