score Card

धर्मस्थल पर झूठी कहानियों का हमला, सोशल मीडिया के झूठ ने centuries पुरानी शान पर लगाया दाग

कर्नाटक का श्री क्षेत्र धर्मस्थल, जो सदियों से आस्था और सेवा का केंद्र रहा है, आज सोशल मीडिया पर फैली बेबुनियाद कहानियों और अफवाहों की वजह से बदनाम हो रहा है। जांच में अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

National News: धर्मस्थल का नाम हाल के महीनों में एक ऐसे विवाद में घसीटा गया, जिसमें कोई पुख्ता सबूत नहीं था। 'अनन्या भट्ट' नाम की एक छात्रा के 2003 में गायब होने की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल कर दी गई। इस कहानी को ऐसे पेश किया गया जैसे कोई बड़ा राज़ दबा दिया गया हो। लेकिन हकीकत ये है कि इस नाम की कोई भी छात्रा कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में पढ़ी ही नहीं। न कोई रजिस्टर में नाम, न पुलिस रिकॉर्ड में केस, न किसी अखबार में उस वक्त की रिपोर्ट।

गवाह और दस्तावेज़ गायब

इस कहानी को फिर से हवा तब मिली जब महेश शेट्टी थिमारोडी नाम के एक पूर्व सफाई ठेकेदार ने दावा किया कि उसे धर्मस्थल में आपराधिक घटनाओं से जुड़े शव नष्ट करने के लिए मजबूर किया गया। उसने कथित जगहों पर जाकर हड्डियों की तस्वीरें खींचीं और अफसरों को दीं। लेकिन जांच में ये तस्वीरें किसी असली अपराध से जुड़ी साबित नहीं हुईं। न कोई गवाह सामने आया, न कोई प्रमाण मिला।

पुराने विवाद का हिसाब

महेश शेट्टी का धर्मस्थल प्रशासन से पहले भी कई मामलों में टकराव रहा है। उनका अभियान खुद को जन-आंदोलन बताता है, लेकिन देखने वालों का कहना है कि इसमें निजी दुश्मनी की बू आती है। उनके बयान और आरोप अक्सर लोगों में अविश्वास और गलतफहमियां फैलाने का काम करते हैं। उर्दू में कहें तो ये “फितना” सोशल मीडिया के जरिए और तेज़ी से फैला।

मां बनने का नया किरदार

सालों बाद एक महिला, सुजाता भट्ट, खुद को अनन्या की मां और पूर्व सीबीआई अफसर बताकर सामने आईं। उन्होंने इस कथित केस को महेश शेट्टी के दावों से जोड़ने की कोशिश की। लेकिन न उनके पास कोई कागज़ी सबूत थे, न किसी जांच एजेंसी में दर्ज कोई रिपोर्ट। ये सिर्फ कहानी को और सनसनीखेज़ बनाने का तरीका निकला।

सबूत से पहले सज़ा का माहौल

ये मामला दिखाता है कि आज के दौर में सोशल मीडिया पर एक कहानी को सच बनाने के लिए बस बार-बार दोहराना काफी है। नतीजा ये होता है कि सौ साल पुरानी इज़्ज़त भी मिनटों में गिरा दी जाती है। सच्चाई से ज़्यादा वायरल “दास्तान” चलती है।

धर्मस्थल की साख पर वार

श्री क्षेत्र धर्मस्थल सिर्फ एक धार्मिक स्थान नहीं, बल्कि सेवा, शिक्षा और दान का बड़ा केंद्र है। लेकिन झूठी खबरें और गढ़ी हुई कहानियां इसकी साख को नुकसान पहुंचा रही हैं। अगर ऐसे “अफवाही हमले” जारी रहे, तो लोग सच्चाई को भूलकर सिर्फ अफवाह पर यकीन करने लगेंगे।

सबक जो हमें याद रखना चाहिए

इस पूरे मामले से एक ही सबक मिलता है-किसी भी ट्रेंडिंग कहानी को मानने से पहले सोचना चाहिए कि इससे किसका फायदा हो रहा है और सबूत क्या है। धर्मस्थल के मामले में जवाब साफ है-यह इंसाफ की नहीं, बल्कि भरोसा तोड़ने की साज़िश है।

calender
12 August 2025, 07:24 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag